Bag Pipe Instrument: राजस्थान एक ऐसा शहर जहां धरोहर और विरासत के तौर पर भव्य महलों, खान पान, परिवेश, परिधान और न जाने ऐसे कितने ही पुरानी परंपराओं को समेटे हुए देखते हैं। इस परंपराओं को न सिर्फ समेटे हुए हैं बल्कि कुछ स्थानीय लोग ऐसी विलुप्त हो रहे हैं सांस्कृतिक परंपरा को भी सहेजने की कोशिश में निरंतर लगे हुए हैं। जिससे कि आने वाली अगली पीढ़ी भी इस परंपरा और संस्कृति से रूबरू हो सकें। जो की बेहद खूबसूरत और अजीज है।

मशक बाजा जो राजस्थान के प्राचीनतम वाद्य यंत्र में शामिल है, लेकिन अब यह वाद्य यंत्र विलुप्ति के कगार पर है। क्योंकि इस पुरानी वाद्य यंत्र के परंपरा को आगे ले जाने में आधुनिकता के इस दौर ने पीछे छोड़ दिया है, यहां के कुछ छोटे-बड़े स्थानीय कलाकार इस वाद्य यंत्र की परंपरा को अगली पीढ़ी तक ले जाने की कोशिश में लगातार लगे हुए हैं।

क्या होता है मशक बाजा वाद्य यंत्र?

बात अगर मशक बाजा वाद्य यंत्र के आकार की करें, कि वह किस तरीके से दिखता है और इस वाद्य यंत्र से किस तरीके की धुन बजाई जाती है? और यह कैसे पारंपरिक वाद्य यंत्र से जुड़ा हुआ है? तो आपको बता दें कि यह वाद्य यंत्र जो की मशक बाजा कहलाता है यह एक बड़ा थैला होता है।

इस बड़े से थैली में पाइप लगी होती है और इसे बजाने के लिए थैली में हवा भरी जाती है, यह लगभग इसी प्रकार समान है जैसे की बांसुरी बजाने के लिए आप होठों के माध्यम से फूंक देते हैं और एक धून बजती है। ठीक उसी प्रकार मशक बाजा वाद्य यंत्र को बजाने के लिए हाथ और होठों के माध्यम से धुन बजाई जाती है।

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पुराने समय में विशेष स्थान रखता था मशक बाजा

विरासत के तौर पर संभाले जाने की इस कोशिश में मशक बाजा पुरानी संस्कृति है। जिसे संजोने की कोशिश कुछ स्थानीय कलाकारों द्वारा की जा रही है। पुराने समय में यह वाद्य यंत्र राजा-महाराजाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विशेष स्थान रखता था।

कैसे बजाते हैं इस वाद्य यंत्र को?

संगीत उत्पन्न करने वाले वह सभी वाद्य यंत्र किसी न किसी स्पेशल आवाज को संगीतनुमा बनाते हैं। इन सभी वाद्य यंत्रों को बजाने का अलग-अलग तरीका भी होता है। इसी तरह मशक बाजा वाद्य यंत्र को बजाने के लिए इसे गले में पहना जाता है, फिर हाथ और मुंह के सहारे इस वाद्य यंत्र को बजाया जाता है। इसके बाद इस वाद्य यंत्र से अलग-अलग धुन उत्पन्न होती है।