Culture of Rajasthan: कठपुतली राजस्थान की धरती से जन्मी एक ऐसी लोक कला है, जिसने राजस्थान से निकलकर पूरे भारत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। कठपुतली की कला का प्रदर्शन शुरुआत में राजमहलों में किया जाता था, बाद में यह कला लोक संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा बन गई।

हालांकि आधुनिक समय में कठपुतली का महत्व काफी हद तक कम हुआ है, लेकिन अभी भी राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में आपको इसकी झलक देखने को बहुत हीं आसानी से मिल जाएगी। राजस्थान के सांस्कृतिक उत्सवों में अभी भी यह कला देखने को मिल जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कठपुतलियों के भी कई प्रकार होते हैं। 

धागा कठपुतली: धागा कठपुतली को डोरी कठपुतली और सूत कठपुतली भी कहते हैं। इसमें कठपुतलियों के हाथ और पैर में धागे बांधकर संचालक उन भागों को अपनी उंगलियों से नियंत्रित करता है और खेल प्रस्तुत करता है। यह बहुत ही समायोजन का कार्य होता है और इसमें बहुत अधिक धैर्य और कुशलता की आवश्यकता होती है।

छाया कठपुतली : कठपुतलियों का दूसरा प्रकार होता है छाया कठपुतली, जिसमें हाथ और उंगलियों से समायोजन बिठाते हुए किसी प्रकाश स्रोत के समक्ष गतिविधि की जाती है, जिससे हाथ का छाया दीवार पर पड़ता है और वह कुत्ता, हिरण, पक्षी आदि का रूप ले लेता है। यह बच्चों के मनोरंजन के लिए एक बेहतरीन साधन होता है।

हाथ कठपुतली: हाथ कठपुतली, कठपुतली का एक विदेशी प्रकार है, जिसमें हाथ में रंग-बिरंगे जानवरों के दस्ताने पहनकर नाटक प्रस्तुत किया जाता है। किस्से कहानियों को दर्शाने के लिए ऐसी कठपुतली काम आती है।

छड़ी कठपुतली: कठपुतली का यह प्रकार रॉड कठपुतली के नाम से भी जाना जाता है। इसमें अलग-अलग व्यक्तियों, जानवरों और वस्तुओं की प्रतिकृति चित्र को एक छड़ी में चिपका दिया जाता है और उस छड़ी की मदद से उनकी गतिविधियां करवाई जाती हैं। 

पेपर मैस कठपुतली: इस प्रकार की कठपुतली में कागज या फिर अन्य सामग्री से जानवरों या वस्तुओं के रूप में डाला जाता है। एक तरह से कहा जा सकता है कि यह खेल-खेल में बनाए जाने वाला कागजी खिलौना होता है और इसकी उपलब्धता पूरी दुनिया में होती है। इसे कोई भी बना सकता है।

यूं तो कठपुतली के सभी प्रकार मनोरंजन की दृष्टिकोण से बहुत ही बेहतरीन होते हैं लेकिन धागा कठपुतली जो विशेषत: राजस्थान से शुरू हुई थी, उसका महत्व बाकियों से कहीं ज्यादा होता है। क्योंकि धागा कठपुतली में सामाजिक संदेश भी छुपे हुए होते हैं।

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