Rajasthan Tribes Tradition: राजस्थान जो अपनी अनोखी परम्परा और इतिहास के लिए जाना जाता है, लेकिन इलके अलावा भी ये और ऐसी चीजों के लिए जाता है, जो इसे एक विरासत के रूप में मिला हैं। उनमें से जनजातियां भी इनका हिस्सा है, जो राजस्थान की संस्कृति की पहचान हैं। राजस्थान की कुछ ऐसी जनजाति जो अभी भी जंगलो में निवास करती हैं।
राजस्थान की प्रमुख जनजातियां
1. कथौड़ी जनजाति
2. कंजर जनजाति
3. सांसी जनजाति
4. डामोर जनजाति
5. सहरिया जनजाति
कथौड़ी जनजाति : कथौड़ी जनजाति वैसे तो महाराष्ट्र की मूल जनजाति हैं, लेकिन ये अभी इनका क्षेत्र उदयपुर हैं। कथौड़ी जनजाति के लोग खैर के पेड़ से कत्था प्राप्त करते हैं और इसी वजह से इसका नाम कथौड़ी पड़ा। इस जनजाति को अपने अनोखे तरीकों के लिए जाना जाता है।
दूध नहीं शराब पीते हैं पुरूष-महिलाएं
कथौड़ी जनजाति के लोग दूध नहीं पीते हैं, बल्कि उसकी जगह शराब अधिक पीते हैं। इस जनजाति में महिलाएं भी पुरुषों के साथ बैठकर शराब पीती है और इस जनजाति में लोग बंदर का मांस खाना पंसद करते हैं। कथौड़ी जनजाति में महिलाएं श्रृंगार के लिए गहने नहीं पहनती जो इस जनजाति की अनोखी पहचान हैं।
कंजर जनजाति : कंजर जनजाति का कंजर शब्द कानन के चर शब्द से आया हैं। इस शब्द का अर्थ है जो जंगल में रहकर अपना जीवन यापन करती हो। ये कंजर जनजाति हाड़ौती के क्षेत्र में निवास करती हैं। ये लोग मोर का मांस खाते हैं, इस जनजाति का मुख्य व्यवसाय ही अपराध से शुरू होता है।
पाती मांगना: इस जनजाति में अपने घर का पालन पोषण के लिए व्यवसाय अपराध करने को मानते हैं। इस जनजाति में बड़ी अनोखी पंरपरा हैं जिसमें अपराध करने से पहले ये जनजाति अपने देवी- देवताओ से आशीर्वाद लिया जाता है। इस प्रथा को “पाती मांगना” कहते हैं। इनका ये भी मानना हैं कि इनके घर बनवाते समय अपने घरों के पीछे की ओर एक खिड़की अवश्य रखी जाती है।
डामोर जनजाति : डामोर जनजाति राजस्थान की अनोखी जनजातियों में से एक है, जो डूंगरपुर जिले के पहाड़ी क्षेत्र में निवास करती हैं। रोचक बात यह है कि इस जनजाति में महिलाएं तो आभूषण पहनती ही है, लेकिन यहां के पुरूष भी महिलाओं की तरह गहने पहनकर श्रृंगार करते हैं। इस जनजाति में एक ओर प्रथा हैं, जिसमें पुरुष एक से अधिक विवाह कर सकता है।
सांसी जनजाति: सांसी जनजाति का निवास स्थान अजमेर और भरतपुर है। सांसी जनजाति में एक परंपरा हैं, जिसमें लोग भाखर बावजी की कसम ग्रहण करने के बाद झूठ नहीं बोल सकते, ये उनके लिए ये किसी अपराध के समान है। ये लोग कसम लेते समय एक हाथ में कुल्हाड़ी व दूसरे हाथ में पीपल का पत्ता रखते हैं।
सहरिया जनजाति: सहरिया जनजाति राजस्थान की आदिम जनजाति है, जो बारां जिले में रहती हैं। सहरिया जनजाति की भी अपनी कुछ खास परंपरा हैं, जो इनको बाकि जनजाति से अलग बनाती है। इस जनजाति के लोग अपना आदि पुरूष वाल्मीकि जी को मानते हैं और इस जनजाति की महिलाएं केवल घर के अंदर ही घूंघट करती हैं। लेकिन घर के बाहर ये घूंघट नहीं रखती हैं, जो इनकी परंपरा का एक पहलु है।
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