Rajasthan Tribal Tradition:  राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जिसके हर शहर के अपने रिती रिवाज हैं। यदि आप राजस्थान आते हैं तो आपको हर तरफ एक अलग परंपरा सुनने को और जानने को मिलेगी। देश के सभी राज्य में अपनी समान परंपरा है, लेकिन राजस्थान में हर एक कदम पर बोलियों के साथ उनकी परंपरा के साथ उनके रीति रिवाज भी बदलते रहते हैं। 

तर्पण की मान्यता

राजस्थान के माउंट आबू में रहने वाले लोगों की अपने पुर्वजो को लेकर एक परंपरा है, जिसमें वो अपने पितरों की अस्थियां विसर्जन करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए जाते हैं। जिसमें राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों के लोगों द्वारा भी इस परंपरा में हिस्सा लिया जाता है। 

इस प्रक्रिया में लोगों द्वारा पितरो की अस्थियों का तर्पण किया जाता है, इन रीति रिवाजों को निभाने पीछे उनकी मान्यता है कि इससे उनके घरों का शोक खत्म हो जाते है जिससे इन रीति रिवाजों को करने वाले लोग नाचने लगते है।

पितरो के तर्पण के बाद प्यार और शादी

शोक की पंरपरा को राजस्थान के लोग ऐसी परंपरा को इसलिए निभाते है, क्योकि इन परंपराओं को उनके पुर्वज सालों से निभाते हुए रहे थे। इस परंपरा की सबसे दिलचस्प किस्सा ये है कि पितरो के तर्पण के बाद ही महिला पुरूष प्यार करते हैं। उसके बाद ही शादी करने के लिए परिवार के लोगों से अनुमति ली जाती है

महिलाएं करती है पितरो का तर्पण

बुद्ध पूर्णिमा के दिन नक्की झील में विधि विधान से एक साल तक संजोकर रखी किसी अपने की हस्थियों का विसर्जन किया जाता है, इस समुदाय की सबसे खास बात ये है कि  इस समाज में महिलाओं द्वारा भी अपने पुर्वजो की तर्पण किया जाता है 

मेले में करते है अपनी पंसद की शादी

इस समाज के लोगों द्वारा अपने पितरो का तर्पण करने के समय नक्की झील पर मेला लगता है, इस मेले की सबसे अनोखी बात ये है कि इस समाज में सभी महिला पुरूष को अपनी पसंद से शादी करने की छूट है। इस मेले में सभी लोगों द्वारा अपने जीवन साथी को चुनने के लिए सभी पुरूष और महिलाएं अच्छे तरीके से तैयार होकर आते हैं। 

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बच्चे करवाते है माता पिता की शादी

इस समाज की सबसे खास बात एक ये भी है कि इस समाज में मेले मे चुनने के बाद अगर उनके परिवार के सदस्य उनके रिश्ते के लिए नहीं मानते है, तो वो अपने साथी के साथ भाग जाते है

उसके बाद कुछ सालों बाद उनके बच्चों द्वारा उनकी पूरे विधि विधान के साथ शादी करवाई जाती है। इस शादी को करवाने के पीछे का उद्देश्य  ये था कि इससे समाज उनकी शादी को स्वीकार कर लेता है और परिवार द्वारा उनकी शादी को मान्यता भी मिल जाती है।