Rajasthan Unique Tradition: दिवाली के दूसरे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के मौके पर भाई बहन का एक खास पर्व मनाया जाता है। भाई दूज का यह त्यौहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस साल 23 अक्टूबर को यह पर्व पूरे भारत में धूम-धाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं और भाई का तिलक कर उनकी सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए कामना करती हैं। साथ ही भाई बदले में बहन को कुछ भेंट देकर बहन की रक्षा का वादा करता है।
भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा है त्यौहार
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। भाई को देखकर सुभद्रा ने भगवान का तिलक किया था और माला पहनाकर उनका स्वागत किया था। साथ ही मिठाई खिलाकर अपने भाई की दीर्घ आयु की कामना की।
राजस्थान में निभाई जाती है अनोखी परंपरा
जहां पूरे देश में यह त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है वहीं कई सालों से राजस्थान के डूंगरपुर जिले में आदिवासी बाहुल्य समाज द्वारा गायों की दौड़ की अनोखी परंपरा निभाई जा रही है। यह दौड़ राज्य में अगले साल मौसम का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। जिले के छापी गांव में एक साथ कुल 200 से अधिक गायों की दौड़ कराई जाती है।
यदि इस दौड़ में सफेद रंग की गाय जीतती है तो इसका मतलब होता है कि गांव में अगले साल अच्छी बरसात होगी और अच्छी फसल का अनुमान लगाया जाता है। वहीं लाल रंग की गाय के जीतने का मतलब है ओलावृष्टि होगी। साथ ही काले रंग की गाय के जीतने से अनुमान लगाया जाता है कि इस साल बारिश कम होगी।