Veer Tejaji Maharaj: वीर तेजाजी महाराज जिनकी पूजा 3 राज्यों में अधिक की जाती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों में रहने वाले जाट समुदाय के लोग महाराज को अपना आराध्य देव मानते हैं। उनकी जयंती तेजा दशमी जैसे पर्व राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में मनाए जाते हैं, जैसे नागौर, जोधपुर, झुंझुनू और सवाई माधोपुर में धूमधाम से मनाई जाती है।

इसमें जाट किसान समुदाय विशेष रूप से इनकी अमर कथा सुन कर खुशहाली की कामना करता है। तेजाजी महाराज का जन्म नागौर जिले के खरनाल गांव में हुआ था और उनको राजस्थान के छह चमत्कारिक सिद्धों में से एक माना जाता है। उन्हें अपनी आहुति एक गाय के लिए दीदी इससे पता चलता है कि वह कितने बड़े गए प्रेमी थे और गौ रक्षक थे।

वीर तेजाजी महाराज की वीरता

लोककथाओं के दौरान वीर तेजाजी महाराज की मृत्यु सर्पदोष के कारण हुई थी। बचपन से ही वीर तेजाजी एक दिन अपनी बहन को लेकर उसके ससुराल गए, जहां जाते ही उन्हें पता चला कि दस्यु गिरोह ने उनकी सारी गायों को लूट लिया है। तेजाजी अपने लोगो के साथ गायों को छुड़ाने जंगल की तरफ गए, तभी रास्ते में उनके घोड़े समाने एक सांप आ गया और उन्हें डसने की कोशिश की, तेजाजी महाराज ने सांप को वचन देते हुए कहा कि वह पहले गायों को छुड़ा कर लौटेंगे फिर वह सांप उन्हें डस सकता है। तेजाजी का यह वचन सुनकर सांप ने उन्हें जाने का रास्ता दिया, जो उनकी बहादुरी और सत्य के प्रति अडिग विश्वास को दर्शाता है।

वीर तेजाजी महाराज का वचन

दस्यु गिरोह से संघर्ष करते हुए तेजाजी महाराज गायों को छुड़ाने में सफल हो जाते हैं, लेकिन इसी दौरान वह गहरे घाव से घायल हो जाते हैं। जब वे अपना वचन पूरा करने सांप के पास पहुंचते हैं, तो सांप उन्हें खून से सने हुए देख कर कहता है ‘आपका शरीर पूरी तरह से अपवित्र हो गया है अब मैं आपको कैसे डस सकता हूं’ फिर भी वह वचन पूरा करने के लिए अपनी जीभ आगे बढ़ाते हैं, ताकि सांप उन्हें डस सके,ओर अपनी आत्म की शुद्धता को साबित कर सके। यह उनकी इच्छाशक्ति और सत्य के प्रति अडिग निष्ठा का प्रतीक बन गया।

तेजादशमी का महत्व

तेजाजी महाराज की वीरता और निष्ठा देख सांप ने उन्हें एक आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति सर्पदोष से पीड़ित होगा और तेजाजी महाराज का नाम लिखा हुआ धागा पहनेगा, उस पर जहर का कोई असर नहीं होगा। इसी मान्यता के कारण हर साल भाद्रपद शुक्ल की दशमी को तेजदशमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, इस दिन लोकदेवता तेजाजी की पूजा अर्चना की जाती है और जो लोग सर्पदोष से मुक्ति के लिए तेजाजी महाराज के नाम का धागा पहनते हैं, दशमी वाले दिन उन्हें वह धागा खोल देने की परंपरा का पालन करना होता है। राजस्थान के कई इलाकों में इससे बंद काटना या तांतिया काटना भी कहते हैं, जो इस आस्था ओर विश्वास का प्रतीक बन गया है।