Harishchandra Library: भारत शुरुआती समय से ही अपनी सभ्यताओं और संस्कृतियों से प्रसिद्ध रहा है। नालंदा और तक्षशिला जैसी ही एक पुस्तकालय है हरिश्चंद्र लाइब्रेरी जो कि राजस्थान में ही स्थित है। यह लाइब्रेरी करीब 100 साल से भी पुरानी है। यहां कई दुर्लभ पुस्तक मौजूद हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं।

राजा हरिशचंद्र लाइब्रेरी 

इस लाइब्रेरी की स्थापना आजादी के पहले 1913 में की गई थी। इस लाइब्रेरी की स्थापना 1913 के पहले राजपरिवार के द्वारा की गई थी। लाइब्रेरी का पहले नाम कैम्बाल लाइब्रेरी हुआ करता था। इतिहासकारों की माने तो आजादी के बाद लाइब्रेरी का नाम हरिशचंद्र डिस्ट्रिक्ट कर दिया गया। लाइब्रेरी में कई प्रसिद्ध हस्तियों ने शिकरत की है।

लाइब्रेरी के विजिटर बुक में पंडित मालवीय के हस्ताक्षर 

लाइब्रेरी के विजिटर बुक में कई प्रसिद्ध हस्तियों के हस्ताक्षर मिले हुए है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मालवीय के हस्ताक्षर और उनकी टिप्पणियां आज भी लाइब्रेरी के हस्ताक्षर बुक में मौजूद है।

लाइब्रेरी में कई विश्व प्रसिद्ध दुर्लभ साहित्य मौजूद

लाइब्रेर में किताबों की संख्या 4 हजार से ज्यादा है। ये किताबें इतनी दुर्लभ है कि जो उस समय के हिसाब से मिलना बड़ी बात थी। लाइब्रेरी में भगवत गीता के सात संस्करण,चारों वेद,मैक्समूलर और वंश भास्कर के मूल ग्रंथ उपलब्ध है। लाइब्रेरी में विश्व के कई दुर्लभ साहित्य मौजूद है।

वर्तमान में पुस्तकालय की स्थिति दयनीय 

सरकार और प्रशासन के ध्यान नहीं देने के कारण लाइब्रेरी अपने बुरे दौर से गुजर रही है। झालावाड़ जिले का सबसे बड़ा पुस्तकालय रखरखाव की कमी से जूझ रहा है। लाइब्रेरी में अभी कई पद रिक्त हैं।