Paheli Film Shooting In Rajasthan: Paheli भारतीय सिनेमा की एक अनोखी फिल्म है, जिसकी स्क्रिप्ट लेखक विजयदान देथा की एक छोटी कहानी 'दुविधा' से लिया गया है। इस फिल्म का निर्देशन अमोल पालेकर ने किया है और इसमें शाहरुख खान और रानी मुखर्जी मेन रोल में हैं। Paheli राजस्थान की रेगिस्तानी भूमि, लोक संस्कृति, पारंपरिक फैशन और परंपराओं को बड़े ही खूबसूरत ढंग से परदे पर प्रस्तुत करती है। यह एक नई ब्याही दुल्हन (Newlywed Bride) की कहानी है, जो समाज के पुरुष-प्रधान नियमों के खिलाफ अपने संघर्ष और बगावत को भावनात्मक तरीके से दिखाती है। 

राजस्थान के बड़े रेगिस्तान में फिल्माई गई Paheli

Paheli भारतीय सिनेमा की उन कुछ चुनिंदा फिल्मों में से एक है, जो राजस्थान के बड़े रेगिस्तान में फिल्माई गई हैं। यह फिल्म ग्रामीण भारत की खूबसूरती दिखाती है, खासकर राजस्थान के रंगों को एक अनोखे अंदाज में पेश करती है। फिल्म में राजस्थान की सूखी धरती और उसकी रंगीन सुंदरता को इस तरह से दिखाया गया है कि धूप में चमकती रेत की असली खूबसूरती आम लोगों की नजर से छिपी रह जाती है। 

फिल्म में दिखी राजस्थान की खूबसूरती

इस फिल्म में राजस्थान की लोक संस्कृति, संगीत और नृत्य को खूबसूरती से दिखाया गया है। फिल्म का गाना "लागा रे जल लागा", जिसमें रानी मुखर्जी और अन्य महिलाएं पारंपरिक गहनों और कपड़ों में घूमर नृत्य करती हैं, भारतीय सिनेमा के सबसे यादगार दृश्यों में से एक है। घूमर, जो राजस्थान के राजघरानों से लेकर कलबेलिया जनजाति की महिलाओं तक लोकप्रिय है, इस फिल्म में दिखने के बाद दुनियाभर में मशहूर हो गया। 

ऊंट दौड़ और कठपुतली नृत्य

राजस्थान के ग्रामीण जीवन में मनोरंजन के लिए ऊंट दौड़ (Camel Race) और कठपुतली नृत्य (Puppet Dance) बहुत लोकप्रिय हैं। फिल्म में इनका भी जिक्र किया गया है। ये दोनों राजस्थान की लोक संस्कृति का अहम हिस्सा हैं और समाज से गहराई से जुड़े हुए हैं। ऊंट दौड़ और कठपुतली नृत्य, उदयपुर, जैसलमेर, बीकानेर, मेवाड़ और जोधपुर जैसे पर्यटक स्थलों पर बहुत पसंद किए जाते हैं।

Paheli की कहानी

यह पहली भारतीय फिल्म थी जिसने राजस्थान के पारंपरिक फैशन को बड़े पर्दे पर सही तरीके से दिखाया। इसके बाद 2008 में आई फिल्म Jodha Akbar में राजपूती फैशन को दिखाया गया। Paheli की कहानी एक अमीर व्यापारी परिवार पर आधारित है, इसलिए इसमें किरदारों के कपड़े ज्यादा शाही और सजे हुए होते हैं। ये कपड़े आमतौर पर ग्रामीण राजस्थान के लोग रोजमर्रा की जिंदगी में नहीं पहनते।