Ker sangria: केर-सांगरी और राजस्थान का काफी पुराना रिश्ता है। इस सब्जी को खाना तब शुरू किया गया था जब सूखे पड़ने के कारण हरी सब्जियों का उत्पादन नहीं हो पा रहा था। हालांकि आज इसे बाकी कई राज्यों में पैदा करना शुरू हो गया है। इसे खाने का दूसरा फायदा यह है कि यह रेगिस्तानी इलाकों में आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

राजस्थान जैसे क्षेत्र में भीषण गर्मी के कारण खाना जल्द खराब हो जाता है। ऐसे में केर सांगरी एक ऐसी सब्जी है जो कभी भी आसान रेसीपी से बनाई जा सकती है और यह काफी देर तक खराब नहीं होती है। इसे आप बनाकर आराम से कई दिनों तक स्टोर करके भी रख सकते हैं।   

खास मौको पर बनाई जाती है केर सांगरी की सब्जी 
केर सांगरी की सब्जी शीतला सप्तमी (बसोड़ा) के खास मौके पर बनाई जाती है। बता दें इस दिन ठंडे खाने की मान्यता होती है। दरअसल, सप्तमी के दिन का खाना एख दिन पूर्व यानी षष्ठी को बनाकर रख दिया जाता है। दूसरी कोई और सब्जी बनाकर रखने से खराब होने का डर रहता है, ऐसे में केर-सांगरी की सब्जी सबसे बेस्ट ऑप्शन होता है। इसके अलावा शादी-ब्याह और तीज-त्यौहार के मौकों पर भी केर-सांगरी की सब्जी में मेवा डालकर एक शाही तरीके से सर्व किया जाता है। 

छोटे-छोटे गोली की तरह होती है केर 
केर छोटे-छोटे गोली की तरह होती है जिसे तेल मसालों के साथ मिलाकर सब्जी बनाई जाती है। साथ ही सांगरी दिखने में पतली और लंबी होती है। इन दोनों को जब मिलाकर सब्जी बनाई जाती है उसे केर-सांगरी की सब्जी कहते है। आपको किराने की दुकान पर सूखी केर-सांगरी के पैकेट आसानी से मिल जाएंगे। इसे आप ऑनलाइन भी ऑडर कर सकते है। 

कैसे निकालते है इनका कड़वापन?
बता दें कि केर स्वाद में कड़वा होता है और यह कंटीले पौधे पर उगता है। इसका कड़वापन निकालने के लिए रातभर इसे नमक के पानी या छाछ में भिगोकर रखना पड़ता है। इसके बाद इन्हें सुखाकर सालभर के लिए यूज कर सकते है। वहीं सांगरी की बात करें तो यह खेजड़ी के पेड़ों पर लगती है। इसकी हरी फलियों को तोड़कर अच्छी तरीके से सुखाया जाता और फिर सालभर के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

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