Rajasthan Fruits : राजस्थान में इन दिनों तरबूज के तरह दिखने वाला फल ‘कचरी' बाजार में आना शुरू हो गया है। यह तरबूज के तरह ही दिखाई देता है लेकिन इसका आकार बहुत ही छोटा होता है। यह फल साल में सिर्फ तीन महीने ही मिलता है। कचरी में प्रचूर मात्रा में पौष्टिक तत्व पाया जाता है। इस फल का सब्जी और आजार बहुत ही लजीज होता है। किसान अपने खेतों में किसी अन्य फसल के साथ भी इसे उगाते हैं।
कचरी को दूसरे नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में कचरी को 'मृगाक्षी' भी कहा जाता है,क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में पौषक तत्व पाए जाता है। इसके पत्ते ककड़ी की तरह होते हैं, जिस पर पीले छोटे-छोटे फूल भी निकलते हैं। इसकी सब्जी और आचार बनाया जाता है। जो खाने में बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। तो आइए जनते हैं इसके औषधीय गुण और पोषक तत्वों के बारे में।
कचरी के औषधीय गुण
बता दें कि काचरी को ‘जंगली तरबूज’ भी कहा जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है। इस फल में इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूती करने की क्षमता होती है। साथ ही इस फल में मूत्र वर्धक गुण होते हैं, जिससे की शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद मिलती है। यह शरीर को हमेशा डिटॉक्स रखने में मदद करता है।
इसमें पाये जाने वाला पोषक तत्व पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है, जिससे पाचन क्रिया स्वस्थ होती है। कचरी के सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट इंफेक्शन जैसी परेशानियों से दूर रखने में मदद करता है। इसके अलावा कचरी का सेवन करने से भूख बढ़ती है और फास्ट फूड खाने की इच्छा कम होने लगती है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि कचरी पाचन और भूख के लिए अच्छा माना जाता है।
कचरी फल कब मिलता है?
कचरी राजस्थान में गर्मियों के मौसम में लगाया जाता है। यह सितंबर, अक्टूबर और नवंबर महीनों में पककर तैयार हो जाते हैं। यह फल साल में सिर्फ 2-3 महीने ही मिलतें है। इससे बनाए जाने वाले व्यंजन स्वाद में खट्टे-मीठे होते हैं। राजस्थान में विदेश से आने वाले पर्यटकों को यह सब्जी बेहद पसंद आती है। इसलिए उन क्षेत्र में यह ज्यादा उगाया जाता है जहां पर विदेशी पर्यटक अधिक आते हैं। इसे किसान खेत या सड़क के किनारे भी उगाते है।