Rajasthan Agriculture: भारत में ज़्यादातर किसान प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में राजस्थान जैसे प्रदेश में खेती करना आसान नहीं होता। लेकिन राजस्थान का एक ऐसा गाँव है, जहां के लोग बंजर ज़मीन में सहजन की खेती करके महीने का लाखों की कमाई करते हैं। यही नहीं देश के बाहर इसे निर्यात भी करते हैं। अगर आप किसान हैं तो इस सहजन की खेती के बारे में विस्तार से जानना चाहिए।

जयपुर से 45 किमी दूर है गांव 

हम बात कर रहें हैं राजधानी जयपुर से महज़ 45 किलोमीटर दूर स्थित सामोद गाँव की, जहां के किसानों की क़िस्मत सहजन के पेड़ ने बदल दी। दो साल पहले यहां कि ज़मीन बंजर थी, जो अब उपजाऊ बन चुकी है। दो साल पहले यहां का भूजल स्तर नीचे चला गया था।

फल - फूल के साथ पत्तियों की भी होती है ब्रिक्री

बताया जाता है कि दो साल पहले दर्जनों किसानों ने एक साथ इसकी खेती शुरू की थी। तब सबसे बड़ा सवाल था लाभ कैसे होगा? लेकिन अब सहजन के एक पेड़ से एक सीज़न में 5-6 फसलों के बराबर लाभ कमा रहे हैं। पेड़ बड़ा होने के बाद इसके पत्ते, छाल, गोंद, फली, फूल आदि की ब्रिक्री साल भर की जाती है। यही नहीं फल पकने के बाद इसकी पत्तियां बहुमूल्य बन जाती है।

विदेशों में भी किया जाता है निर्यात 

सहजन की पत्तियों की डिमांड विदेशों में भी है। पत्तियों को सालभर में 4-5 बार सुखाकर बेची जाती है। पत्तियों को 100-150 रुपए प्रति किलो के भाव से बेचा जाता है। पत्तियों का व्यापार गुजरात, बेंगलुरू , जर्मनी, अमेरिका तक  किया जाता है।

बेहद उपयोगी होती हैं पत्तियां

सहजन के पत्तियों से 150 से भी ज्यादा बीमारियां दूर होती हैं। इसमें विटामिन ए, बी और सी होती है। इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन आदि की भी भरपूर मात्रा रहती है।

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