Bharatpur Deeg Fort : जब कभी महलों की बात होती है, तो राजस्थान सभी राज्यों की तुलना में सबसे ऊपर आता हैं। इन्हीं महलों में एक महल ऐसा भी है जिसमें 2000 से ज्यादा फव्वारे चलते हैं। मौसम चाहे कोई भी हो, यह कभी नहीं रुकते व  इस महल को डिग का जलमहल कहा जाता है। इस महल की वास्तुकला और शिल्पकला बहुत खूबसूरत है, जिसके बारें में ये माना जाता है कि यह महल लगभग 300 साल पुराना है।

महल का इतिहास

महाराजा बदन सिंह ने जलमहलों निर्माण शुरू करवाया था, जो करीब 250 साल पुरानी व इसके बाद सुरजमल नाम के महाराजा ने इन महलों में रद्दोबदल करवाई। महाराजा ने अपनी सूझ-बूझ से इन महलों का नवनिर्माण करवाया, उन्होंने डिग के जलमहल में भी एक ऐसी कला का निर्माण करवाया। जो आज भी करना आसान नहीं है, भरी गर्मी के मौसम में भी इस जलमहल के 2000 फव्वारे बिना किसी रुकावट के चलते रहते हैं। यह जलमहल भरतपुर की गर्मियों की राजधानी भी माना जाता है। ये 2000 फव्वारे फाल्गुन के महीने में कईं अलग अलग रंगों में चलते हैं। 

कैसे एक साथ चलते हैं, 2000 फव्वारे:

इन  फव्वारों के लिए  चारबाग पद्धति का इस्तेमाल किया गया है, डिग का जलमहल रूप सागर और गोपाल सागर जलाशयों के बीच में स्थित है। हैरानी की बात तो यह है कि उस समय 2000 फव्वारों के कैसे चलाया जाता था, जब तो न कोई मोटर थी और न मोटर चलने के लिए बिजली।

पहले रूप सागर और गोपाल सागर जलाशयों में से रहट का इस्तेमाल करके महल के छत पर बने जलाशयों को भरकर बाद में फव्वारों को चलाया जाता था, जिससे गर्मियों में भी महल का तापमान सही रहता था। इन फव्वारों को साल में दो बार चलाए जाता हैं। फव्वारों को रंगीन बनाने के लिए उनके मुंह पर रंग की पोटली रखी जाती है, जिससे ये फव्वारे रंगीन दिखाई देते हैं।

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