Hadi Rani Kund: राजस्थान का भारत की धरोहरों में अनमोल योगदान रहा है। यहां के महल, किलों, प्राचीन मंदिरों या फिर राज्य की अन्य एतिहासिक इमारतें प्रदेश ने हमेशा से अपनी पहचान और अपनी धरोहर को सदियों से सभाल कर रखा है। राजस्थान की भूमि पर ऐसे कई योद्धों ने जन्म लिया, जिनकी बहादुरी और शाहस की कहानी आज भी हम अपनी किताबों में पढ़ते हैं।

आज हम जिसके बारें में बात करने वाले है उस स्त्री के बलिदान की गथा आज भी लोगों में जोश भर देती है। हम बात कर रहे हैं हाड़ी रानी की, जिनकी बहादुरी के किस्से इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए लिखी जा चुकी है। जितनी सुंदर इसकी वास्तुकला है, उतनी ही ऐतिहासिक इससे जुड़ी कहानी है। 

हाड़ी रानी बावड़ी का इतिहास

यह बावड़ी जितनी अपने इतिहास के लिए जानी जाती है, उतना खौफनाक यहां का महौल भी है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस कुड़ में आज भी कई आत्माएं भटक रही हैं। इसी कारण इस बावड़ी का नाम सबसे डरावनी जगहों में भी आता है।  

हाड़ी रानी की कहानी 

हाड़ी रानी वो स्त्री थी जिन्होंने अपने बलिदान और प्रेम के खातिर अपनी सर अलग कर दिया था। बताया जाता है कि हाड़ी रानी राजस्थान के बूंदी के हाड़ा शासक हाड़ा की बेटी थी जिनका विवाह उदयपुर के सलूम्बर के सरदार राव रतन सिंह चूडावत से हुआ था। शादी के करीब 7 दिन बाद ही दिल्ली से अपनी सेना लेकर आ रहे औरंगजेब को रोकने और युद्ध के मैदान में उतरने के लिए सरदार राव रतन सिंह चूडावत को भेजा गया। अपनी पत्नी से दूर होने के कारण वे बेहद निराश थे।

इसी कारण से उन्होंने अपनी पत्नी के लिए एक संदेश भिजवाया, जिसमें लिखा था कि वे बेहद दुखी हैं और रानी अपनी कोई भी एक वस्तु निशानी के तौर पर भिजवा दें। संदेश पढ़कर रानी को लगा कि उनके वियोग में राजा युद्ध में अपना योगदान नहीं दे पाएंगे। इसलिए हाड़ी रानी ने अपना सिर धड़ से अलग कर एक प्लेट में अपने राजा को भिजवाया दिया था। अपनी पत्नी के इस योगदान को देखकर राजा ने दिल्ली से आई सेना को अकेले ही हरा दिया।