Jaipur Famous Pottery: ब्लू पॉटरी राजस्थान के जयपुर की वो मशहूर शिल्प कला है, जो ना केवल हिंदुस्तान में बल्कि पूरे विश्व में फेमस है। इस कला की खास बात यह है कि इसे आज भी बड़े पारंपरिक तरीके से बनाकर सजाया जाता है। यह एक ऐसी कला है जो पूरे विश्व में केवल राजस्थान में पाई जाती है। आपको बता दें कि इस कला की शुरूआत तुर्क से हुई थी और ब्लू पॉटरी मूल रूप से फारसी की कला माना जाती है।
नीले डाई से बनाई जाती है पॉटरी
इस कला में कारिगर नीले रंग की डाई का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए इस को ब्लू पॉटरी के नाम से जाना जाता है। कारिगर मिट्टी के बर्तन तैयार कर उन्हें सुंदर आकार देते हैं। इसके बाद निले कलर की डाई का इस्तेमाल कर उसपर खूबसूरत डिजाइन तैयार करते है।
इस प्रकार की जाती है ब्लू पॉटरी
ब्लू पॉटरू बनाने के लिए कारिगर पहले कार्टज पत्थर का पाउडर, मुल्तानी मिट्टी, बोरेक्स के साथ-साथ कांच का पाउडर और उपर से गम और पानी का मिश्रण तैयार करते हैं। खास बात यह है कि इस कला में चिकनी मिट्टी का इस्तेमाल नहीं होता है।
14 वीं सदी में भारत में आई थी यह कला
ब्लू पॉटरी की कला भारत में सवाई राम सिंह के शासन में शुरू हुई थी और पहली बार यह कला राजस्थान के जयपुर में आयी थी। जयपुर के राजा ने अपने कुछ कलाकारों को यह कला सिखने के लिए दिल्ली भेजा था। 1950 के आस-पास यह कला लुप्त होने लगी थी, लेकिन कृपाल सिंह शेखावत ने इस कला को फिर से जिवंत किया था।