Rajaram Meghwal: जोधपुर का मेहरानगढ़ फोर्ट सबसे पुराने किलों में से एक है। इस किले का निर्माण 1459 में राव जोधा ने शुरू करवाया था। यह किला शहर से 410 फीट की ऊंचाई पर है। इसे किले के निर्माण के पीछे एक रहस्यमयी कहानी छिपी हुई है। माना जाता है कि जब राजा जोधा ने टीले पर महल बनाने का निर्णय लिया तो उनके सामने एक विडंबना खड़ी हो गई। किसी ब्राह्मण ने बताया कि ये जमीन शापित है, इसलिए इसका निर्माण किसी की बलि देकर बनवाया जाय तभी वह सुरक्षित रह सकता है, अन्यथा इस महल का निर्माण मुश्किल है। 

राजा मेघवाल के परिवार की रक्षा करता है राज परिवार 

ऐसा कहा जाता है की जब राजा राव जोधा ने मेहरानगढ़ किले के निर्माण करना एक टीले पर महल बनाने की कोशिश की, तो उन्हें पता चला कि यह जगह शापित है। यहां पर महल बनाना तभी संभव है, जब किसी जिंदा इंसान को निव मे दफना दिया जाए। लेकिन इसमें उस व्यक्ति की भी मर्जी होनी चाहिए। ऐसे में राजाराम मेघवाल स्वयं को जिंदा दफनाने को तैयार हो गए। ऐसे में राजा राव जोधा ने उन्हे अमर शहीद की उपाधी दी और उन्होंने राजाराम मेघवाल से वादा भी किया कि आने वाले समय में राज परिवार उनके पूरे परिवार की रक्षा करेगा। राजा मेघवाल को आज भी उनकी वीरता और समाज के प्रति उनके योगदान को लोग श्रद्धा और सम्मान के साथ याद करते हैं।

जोधपुर को क्यूं कहते हैं नीली नगरी? 

मेहरानगढ़ किले की दीवारें 36 मीटर ऊंची और 21 मीटर चौड़ी है। कहा जाता है कि इस किले के आस-पास काफी चीलें उड़ती रहती हैं। मान्यता है कि ये चीलें माता का रूप हैं और वह स्थानीय लोगों की रक्षा करती हैं। राज परिवार आज भी इन चीलों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करता है। जोधपुर शहर को पूरे देश में नीली नगरी के नाम से प्रसिद्ध शहर है। सदियों पहले ब्राह्मणों ने अलग दिखने के लिए अपने घरों को नीले रंग से रंगवा लिया था। कई लोग आज भी अपने घर को नीले रंग से रंगवाते हैं।