Aata Sata Pratha: राजस्थान में कुछ ऐसी कुप्रथा है जो लम्बे समय से चलती हुई आ रही हैं जिसमें आटा-साटा भी एक ऐसी प्रथा है, जिसमें कई लड़कियों ने झौक दी जान अपनी इस प्रथा में। 

क्या है आटा-साटा प्रथा

आटा-साटा एक ऐसी कुप्रथा है, जिसमें अगर किसी लड़की की शादी कर रहे हो, तो उसके साथ उसके भाई की शादी की जिम्मेदारी लड़के वालों की होती है। इस प्रथा में लड़की के बदले लड़की ली और दी जाती हैं।  

कौन करते हैं आटा-साटा

राजस्थान के बहुत क्षेत्रो में इस आटा-साटा प्रथा को बाल विवाह के साथ जोड़ा जाता हैं। ये आटा–साटा प्रथा ज्यातर पिछड़ेवर्ग और दलित वर्गो के द्वारा अपनाई जाती हैं। इस प्रथा का मुख्य कारण शिक्षा का अभाव, रूढ़िवादी, अंधविश्वास, आर्थिक स्थिति कमजोर होता हैं।

आटा-साटा रुढ़िवादी सोच

इन प्रथा को मानने वाले लोगों की रूढ़िवादी सोच होती हैं, ये पुरूष प्रधान समाज लडकी को बोझ मानते हैं और उन्हें ये डर सताता हैं कि लडके की शादी नहीं होगी क्योंकि समाज में एक कहावत हैं कि यदि आप गरीब और पिछड़े हैं, तो आपके लड़के की शादी नहीं होगी। 

उम्र की नजरअंदाजी

इस प्रथा को मानने वाला समाज इस चीज को भी नजरअंदाज कर देता है कि लड़की- लड़के की आयु मेल खाती भी हैं। ऐसी शादियां अक्सर जबरदस्ती करवायी जाती है। जिसमें दबाव बनाए जाने के कारण कई लड़कियां आत्महत्या भी कर लेती है।

आटा-साटा क्यों

राजस्थान के कई क्षेत्रों में लड़की का पैदा होना अशुभ मानते हैं। इसलिए उन्हें पहले गर्भ में या जन्म लेने के बाद मार दिया जाता था। जिसके कारण लड़को की तुलना में लड़कियों की संख्या कम होती चली गई। ऐसे में लड़कों के लिए लड़कियां ढूढंने में समस्या आती थी| 

आटा- साटा को प्रोत्साहन 

इस समस्या से निपटने के लिए लड़कियों की अदला बदली करके आटा-साटा कुप्रथा को प्रोत्साहन देते थे। क्योंकि इससे उनको दहेज से छुटकारा मिला चाहे लड़का योग्य हो या नहीं इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता था।

आटा-साटा का विरोध 

पहले यह कुप्रथा बहुत ज्यादा थी लेकिन शिक्षा के प्रचार प्रसार से बहुत कमी आई है, लेकिन कोई ऐसी प्रथा जो लम्बें समय से चलती आ रही हैं, उसे इतना जल्दी खत्म नहीं किया जा सकता है।

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