Rajasthan Culture: राजस्थान में बहुत अनोखी-अनोखी परम्पराएं है, जिसके पीछे का कारण बेहद अनोखा होता है। खासतौर पर शादियों में या किसी अन्य विशेष अवसर पर ये परंपराएं निभाई जाती है। ऐसा ही एक परंपरा टुटिया है, जिसे अक्सर राजपूत समाज की महिलाओं के द्वारा किया जाता है।
टूटिया परंपरा की शुरुआत
राजस्थान में इस परंपरा की शुरुआत किए जाने के पीछे भी एक कारण है, क्योंकि पहले के समय में जब किसी राजपूत परिवार में लड़के की शादी होती थी। तब बारात में सभी महिलाएं भी जाया करती थी। ऐसे में घर में कोई नहीं होता था और इसका फायदा उठाकर मुगल घरों के कीमती सामान को आकर लुट लिया करते थे।
चोरियां रोकने का तरीका
जब लोगों को लगा कि उनके पीछे से काफी चोरियां होने लगी है, तो उन्होनें इन चोरियों को रोकने का एक तरीका निकाला, जिसमें दुल्हे के साथ बारात में केवल पुरुष ही जाएगंगे और दुल्हन को लेकर वापस आएंगे। वहीं, महिलाएं घर में रहकर घरों की सुरक्षा करेगी। इसके साथ ही दुल्हे की मां शादी के बाद की रश्मों की तैयारियां करेगी।
कैसे करते हैं टूटिया परंपरा
औरतों को देर रात तक जगना पड़ेगा इसके लिए उन्होनें एक परम्परा बनाई, इस परम्परा का नाम उन्होनें टूटिया रखा। जिसमें कुछ महिलाएं बारात लेकर आएगी। इस परम्परा को आज भी राजपूत महिलाओं द्वारा निभाया जाता है, जिसमें आस-पास की सभी महिलाएं इकट्ठा होकर एक खेल खेलती है, इसमें ढोलक के साथ अपने लोक गीत गाकर नाचती हैं।
इस परंपरा में एक महिला दुल्हा बनती हैं और एक दुल्हन, इस परंपरा में पंडित भी एक औरत ही बनती है। सभी पात्र महिलाओं द्वारा ही निभाए जाते हैं। इस पंरपरा में वास्तविक शादी की सभी रश्मों को औरतों द्वारा ही किया जाता है।
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