Rajasthan Unique Village: राजस्थान के नागौर के ईनाणा गांव में एक अनोखे और पर्यावरण-सहायक तरीके से दीपावली का त्यौहार बनाया जाता है। इस दिन लोग पटाखों के बदले होली की तरह एक दूसरे को गुलाल लगाकर दिवाली मनाते है। पर्यावरण की रक्षा के लिए गांववालों की ओर से यह कदम उठाया गया था। होली के मौके पर जैसे एक दुसरे के घर जाकर गुलाल लगाते है उसी प्रकार यहां दीपावली के दिन पटाखों के बजाय गुलाल लगाकर एक दूसरे को दिवाली की बधाईयां देते है। ग्रामिणों का कहना है कि गुलाल एक सुरक्षित व प्रदूषण-मुक्त विकल्प का संकेत करता है।
इस कारण से नही फोड़े जाते हैं पटाखे
साल 2013 से इस गांव में दीपावली के उत्सव पर पटाखे फोड़ने पर बैन है। इसके दो से तीन प्रमुख कारण है, पहला दीपावली के दौरान किसानों द्वारा फसल काटकर खेतो मे एक जगह पर इकट्ठा की जाती है या फिर घर पर लाकर बाड़े में रखते है, ऐसे में पटाखों की चिन्गारी से फसल जलकर राख हो जाती है। इसी कारण से यहां पटाखे फोड़ने पर रोक लगाई गई है। गांव के ग्रामीण अयधान राम ने बताया कि एक बार गांव में ऐसा ही एक वाक्य घटित हो गया था, जिसमें दो तीन किसानों के फसल पटाखों के कारण राख हो गई थी।
ग्रामीण नथमल ईनाणियां ने बताया कि दूसरी वजह है ग्रामीण पर्यावरण प्रेमी, जिनका कहना है कि पटाखों से वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण होता है, जिसके कारण कई बार व्यक्ति जल भी जाता है। साथ ही पटाखें छोटे बच्चों के लिए भी नुकसानदायक होते है। इसी वजह से पटाखों पर बैन करने का निर्णय लिया गया है।
होली की तरह मनाई जाती है दीपावली
दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है इस दिन ग्रामीणों द्वारा एक दूसरों को रंग लगाकर बधाई देते है। खास बात यह है कि दिवाली के दूसरे दिन राम सामा के दिन गांव के लोग एक जगह इकट्ठा होकर एक दूसरे को गले लगते और एक दूसरे के घर जाकर मिठाईयां खाते हैं।
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