Triveni Sangam: भीलवाड़ा से कोटा जाते हुए रास्ते में यह संगम देखने को मिलता है और इसी संगम के नाम पर एक महादेव का मंदिर भी स्थापित है, जो भीलवाड़ा से करीब 50 किमी दूर है। इस मंदिर को त्रिवेणी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
मानसून में डूब जाता है भगवान शिव का मंदिर
इस मंदिर की खास बात है यह कि बारीश के समय यह मंदिर लगभग पूरा डूब जाता है। ऐसा माना जाता है कि सावन में प्रकृति भगवान शिव को जल चढ़ाती है। पानी पूरा मंदिर के चबूतरे तक पहुंच जाता है, जिसके कारण मंदिर के दर्शन करना काफी मुश्किल होता है। मानसून में यह संगम देखने बनता है क्योंकि इस समय यहां मछलियां पानी में उछलती हुई नजर आती है। साथ ही बच्चे मंदिर के पिल्लर पर चढ़कर नदी में कूदते है।
हजारों की संख्या में आती है भीड़
हर साल मानसून में लोग कई इलाके से यह संगम देखने आते हैं। लोग कोटा, बूंदी, टोंक आदि जगह से यह त्रीवेणी संगम और भगवान शिव के दर्शन करने आते है। लोग यहां ना केवल नजारा का लुफ्त उठाने आते हैं, बल्कि कई आसपास के लोग अस्थियां भी विसर्जन करने के लिए यहां आते हैं।
इसके अलावा लोग जोगणिया माता धाम के दर्शन भी करने यहां आते है जो पहाड़ की चोटी पर स्थित है। नवरात्री के समय में यह इलाका लोग से भर जाता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लोग पैदल ही माता के मंदिर तक जाते हैं। इसके साथ ही यहां के पास के गांव सवाईपुर के मावा बेहद ही फेमस है।