Tikri Art: राजस्थान के मेवाड़ की ठीकरी कला आज भी देश विदेश में जानी जाती है। इस अनोखी कला में कांच के टुकड़ों से सुंदर कलाकारी बनाई जाती है। पहले इस कला को केवल राजस्थान के राजा-महाराजाओं के महलों और हवेलियों में दिखाई देती थी। लेकिन अब इस कला को प्रदेश के अन्य फाइव स्टार होटलों और घरों में सजाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
कला को विदेश में भी मिली विशेष पहचान
आज के समय में उदयपुर में 200 से ज्यादा कलाकार इस कला से जुड़े हुए है। उदयपुर के रावजी का हाटा के कलाकार गोपास वैष्णव ने जानकारी दी कि इस कला की मांग आज देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी लगातार बढ़ रही है। फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान समेत अन्य देशों में भी लोग इस कला को अपने घरों में सजाने के लिए ऑर्डर करवाते है। इस कला में कई प्रकार के दर्पणों, गमलों, दीवार पर हाथी-घोड़े, मोर आदि आकृतियां कांच के टुकड़ो से तैयार की जाती है।
खरीदी करने आते है विदेशी पर्यटक
उदयपुर घूमने आए देशी और विदेशी पर्यटक यहां के लोकल बजारों में इस कला की छोटी कलाकृतियां को खरीदने आते है। इसके साथ ही कई होटलों, बड़े घराने, मकानों और संस्थानों में इस कला को दिवारों पर सजाने के लिए खरीदा जाता है।
हैरिटेज लुक पाने के लिए किया जाता है कला का इस्तेमाल
ठीकरी कला से जुड़े कलाकारों का कहना है कि पिछले कुछ दशक पहले इस कला की मांग कम थी लेकिन अब लोग इसे अपने घरों होटलों में हैरिटेज लुक पाने के लिए इस कला को खरीदते है। खास बात यह है कि इस कलाकृति में कई भावनाएं जुड़ी होती है। सैकड़ो सालों से चलती आ रही इस कला में लाखों कलाकार काम करते आ रहे है। इसमें कांच के टुकड़ों को लेकर हाथ से चिपकाया जाता है। इसके बाद इस कला को फिनिशिंग देकर एक रॉयल लुक दिया जाता है।
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