Jaipur History: यूं तो भारत में कई घराने अपनी प्राचीन कलाओं के लिए प्रसिद्ध है लेकिन राजस्थान के जयपुर घराने की अलग ही विशेषताएं है। जयपुर घराना राजस्थान की धरोहर में से एक है जो अपने कथक नृत्य के फेमस है। यदि हम राजस्थान की बात करें तो यह प्रदेश राजपूत साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। जब मुगलों ने आमेर यानि राजस्थान पर हमला किया था तब भी राजपूत शासकों द्वारा राजस्थान की संस्कृतियों को बचाया गया था। इन संस्कृतियों में से एक था जयपुर घराना जिसे धिरे-धिरे विकसित किया गया।
जयपुर घराना की विशेषताएं
पारंपरिक तकनीक जयपुर घराने को सभी घराने से अलग और विशेष बनाती है। यह एक कथक नृत्य होता है जिसे घुमक्कड़ो के तौर पर भगवान की पौराणिक कथाओं को दर्शाने के लिए जाता था। समय के साथ-साथ लोगों ने इसे अपने मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
जयपुर घराना का इतिहास
जयपुर घराने के पहले संस्थापक भानुजी महाराज थे। माना जाता है कि उन्होंने किसी संत से शिव तांडव सिखा था और फिर उसे आगे पीढ़ियों तक पहुंचाने में अपना योगदान दिया। शिव तांडव एक आक्रामक नृत्य है, जिस भगवान शिव ने अपना गुस्सा शांत करने के लिए किया था। इस प्रकार के नृत्य में काफी ऊर्जा की जरूरत होती है।
जयपुर घराने के नर्तकों की वेशभूषा
जयपुर घराने के डांसर लहंगा पहनकर नृत्य करते हुए नजर आते है। यह लंहगे आमतौर पर चौड़े कट और काफी चमकिले वाले होते है। इन लहगों के साथ ही डांसर खूबसूरत ब्लाउज पहनती है। इसके अलावा कंधे पर दुपट्टा लटकाती है और कमर पर बेल्टगर बांध कर अपना यह लुक पूरा करती है। साथ ही गर्दन पर लंबा हार पहनती है और माथे पर एक सुंदर मांग टिका पहनती है। इतना ही नहीं हाथों में मैचिंग चूड़ियां और पैरों में घुंघरू पहनती है।