Rajsthan Tribal Culture: राजस्थान में अलग-अलग प्रथाओं वाली जनजातियां निवास करती हैं, जो एक दूसरे से काफी भिन्न हैं। इन्हें पिछड़ा वर्ग के नाम से भी जाना जाता है, जिसे सरकार द्वारा आरक्षण भी प्राप्त है। इस जनजाति के लोग आधुनिक समाज से बहुत पीछे हैं। इसलिए सरकार ने उन्हें एक मंच प्रदान किया है, जिसमें वो अपनी संस्कृति को प्रदर्शित कर सके।

इस कम्युनिटी में है एकता

ये आदिवासी लोग अपनी संस्कृति को बचाए हुए हैं। ये लोग अभी भी अपनी प्रथाओं को अपने समााज का हिस्सा मानते हैं। ये आदिवासी लोग एकता में विश्वास रखते हैं, जो अपनी कम्युनिटी के साथ मिलकर रहते हैं और इनकी प्रथाओ में पूरी कम्युनिटी उनके साथ मिलकर इसका अनुसरण करती है।

नृत्य कराकर देते हैं आर्शीवाद

राजस्थान के डूंगरपुर के बहुल आदिवासी समाज में एक ऐसी परम्परा है, जिसमें नव विवाहित जोड़े को आर्शीवाद देने की लिए विशेष प्रकार का नृत्य करवाया जाता है। इस दौरान आदिवासी गीतों के साथ नव विवाहित जोड़े को नृत्य कराकर आर्शीवाद दिया जाता है।

इस नृत्य में महिला व पुरुषों दोनों मिलकर भाग लेते हैं। इसमें शादी के बाद जब दूल्हा दुल्हन घर के दरवाजे पर आते हैं। तब सभी रिश्तेदार मिलकर नव विवाहित जोड़े को उनके विवाह की शुभकामनाएं देते हैं और नृत्य व गानों से नव विवाहित जोड़े को उनके अच्छे भविष्य की मंगलकामना करते हैं और नव विवाहित जोड़े को एक होकर रहने का संदेश देते हैं।

'ढोल-नगाड़ों के साथ करते हैं गैर नृत्य'

इस जनजाती के लोगों का मानना है कि इस प्रथा से नव विवाहित जोड़े का जीवन खुशहाल रहता है। ये परंपरा लम्बे समय से चली आ रही है। इस जनजाति में एक वागड़ी प्रकार के गीत होते हैं, जिसे एक खुशहाल जीवन का प्रतीक माना जााता है। उनकी विदाई ढोल-नगाड़ों के साथ गैर नृत्य करते हुए की जाती है। इन तमाम प्रथाओं के बाद दुल्हे और दुल्हन को बारातियों के साथ विदा किया जाता है।

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