Godawan Bird Statue: राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जो अपने इतिहास की धरोवरो से जाना जाता है यहां की कुछ चीजें ऐसी हैं। जो पूरी दुनिया में केवल राजस्थान में ही प्रसिद्ध है, जिनका अपना एक इतिहास और महत्व होता हैं। आपने दुनिया में कई स्मारको के बारे में सुना होगा जो किसी व्यक्ति विशेष के लिए बनाएं गए है, लेकिन कभी सुना है एक ऐसे स्मारक के बारे में जो किसी पक्षी की याद में बनाया गया है, जो पक्षीयों के प्रति अपने प्रेम को दर्शाता है।

राजस्थान का ऐसा शहर जो अपनी रेतिली खुबसूरती की वजह से जाना जाता है, जिसे गोल्डन सिटी' ऑफ राजस्थान के नाम से भी जाना जाता है। जैसलमेर जो रेत के ठीलो से भरा पड़ा है लेकिन वहां गोडामन का एक ऐसा स्मारक जो पर्यावरण के प्रति प्रेम की एक अनूठी मिसाल हैं।

स्मारक बनाने का कारण

इस स्मारक को बनाने के पीछे का का कारण ये था कि, दरअसल जैसलमेर के देगराय ओरण इलाके में साल 2020 में हाइटेंशन लाइनों से टकराने से एक मादा गोडावन की मौत हो गई। मादा गोडावन की मौत से वन्य जीव प्रेमियों को इसका बहुत शोक लगा, जिस कारण उन्होने इस के अस्तिव को बनाए रखने के लिए उस मादा गोडावन की याद में और विरोध में दुनिया का पहला ऐसा स्मारक बनाया गया जो पक्षी  के प्रति प्रेम औऍर संवेदना की भावना को प्रदर्शित करता हैं। 

गोडवन स्मारक के सामने झुकाते हैं सिर

जैसलमेर के इस गोडावन स्मारक को देखने वाले सभी लोगों द्वारा इसके सामने सिर झुकाते है। स्मारक के सामने सिर झुकाने का मतलब ये है कि वो इस जगह सिर झुकाकर लोग स्मारक बनाने वाले पर्यावरण प्रेमियों को नमन करते हैं। 

जैसलमेर के पर्यावरण प्रेमियों की गुहार

जैसलमेर के पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि जैसलमेर से करीब 50 किलोमीटर दूर देगराय ओरण में 16 सितम्बर 2020 को मादा गोडावन की हाइटेंशन की लाइनों से टकराकर मौत हो गई थी, मौत के कारण वन्य जीव प्रेमियों की भावना आहत हुई, क्योंकि अब तक कई ओर गोडावन पक्षियों की जान जा चुकी है करंट लगने से, जिससे कारण पर्यावरण प्रेमियों ने  हाइटेंशन लाइनों को भूमिगत करने के लिए प्रशासन को इस पर कार्रवाई करने को भी कहा था, लेकिन प्रशासन ने उनकी बात को नजरअंदाज किया और कोई कार्रवाई नहीं की।

जिसके कारण एक ओर गोडावन पक्षी की जान चली गईं। इस घटना के कारण पक्षी प्रेमियों में आक्रोश का भाव उमड़ पड़ा, जिसके कारण उन्होने इस दुर्लभ पक्षी के याद ओर लोगों को इस घटना के याद रखवाने के लिए सभी से लगभग 2.5 लाख रुपय जमा किए और गोडावन का मूर्ति स्थापित कर उसका स्मारक बनाया। ये स्मारक लोगों में पक्षीयों के प्रति प्रेम की भी भावना की एक मिसाल हैं।

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