Rajasthan Culture: राजस्थान में आपने ज्यादातर महिलाओं को सफेद चूड़ियां पहने देखा होगा, दरअसल राजस्थान में इस प्रकार की चूड़ियां विवाहित महिलाओं को दर्शाती है। राजस्थान की यह परंपरा सदियों पुरानी है, पहले जमाने में इन चूड़ियों को हाथी के दांत से बनाया जाता था। लेकिन अब इन चूड़ियों को प्लास्टिक से तैयार किया जाता है। 

हाथी दांत की चूड़ियों का महत्व 

इन चूड़ियों की राजस्थान में बहुत मान्यता है। इन चूड़ियों की खास बात यह है कि यह केवल महिलाएं तब पहनती हैं, जब वे सुहागन होती है। किसी लड़की की शादी के दौरान उसकी मां उसे इस प्रकार की चूड़ियों को गिफ्ट के तौर पर देती है। इस समय एक चूड़ियों का सेट किया जाता है, जिसमें कुल 52 चूड़ियां होती हैं, जिसे महिलाएं ऊपरी बांह पर 17 और नीचे हाथ में कुल 9 चूड़ियां पहनती हैं। 

राज्य के जनजातीय जगहों पर इन चूड़ियों को निकालना पाप माना जाता है। आपको बता दें कि विवाहित महिलाएं सोते समय भी इन चूड़ियों को नहीं उतारती है। एक विवाहित महिला अपने जीवन भर इन चूड़ियों को धारण करती है, इसे जादुई नाम से जाना जाता है। 

बुरी नजर से बचने के लिए पहनी जाती है यह चूड़ियां 

पुरानी मान्यताओं के अनुसार महिलाएं इन्हें अपने और अपने परिवार को बुरी नजर से बचाने के लिए पहनती हैं। इसके अलावा कई इलाकों में ऐसा माना जाता है कि महिलाएं अपनी डिलीवरी के कम दर्द होने के लिए भी इन चूड़ियों को पहनती हैं। 

प्लास्टिक चूड़ियों ने ली जगह

पुराने जमाने में महिलाएं हाथी के दांत से बनी चूड़ियां ही पहनती थी। लेकिन अब समय के साथ -साथ महिलाएं प्लास्टिक की चूड़ियां पहने लगी है। अब महिलाएं इन चूड़ियों को फैशन के लिए पहनती हैं। 

भील जनजाति में चांदी की चूड़ियां पहनती है महिलाएं 

राजस्थान में ऐसी एक जनजाति भी है जहां महिलाएं ना तो हाथी की दांत की चूड़ियां और ना ही प्लास्टिक की चूड़ियां पहनती है, बल्कि चांदी की चूड़ियां पहनने की मान्यता है। दरअसल राजस्थान की भील जाति में चांदी की चूड़ियों को ऊपर और नीचे हाथ पर पहनती है। इन्हें भगवान भोले और भैरव देव को दर्शाती है।