Bhajan lal Government Focused on Jaswant Sagar Dam Marwar Region: राजस्थान के जल संकट के समाधान को लेकर भजनलाल सरकार प्राथमिकता के साथ मिशन मोड पर लगी हुई है, जिसमें पीकेसी-ईआरसीपी परियोजना के तहत बनास नदी पर बीसलपुर बांध, ईसरदा बांध तथा रामगढ़ बांधों के पुनर्भरण के जहां एक तरफ काम जारी हैं तो पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र के जल संकट को दूर करने को लेकर रुड़कीो स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) को जसवंत सागर बांध की डीपीआर तैयार की उत्तरदायित्व सौंप दी गई है। इस बांध से पश्चिमी राजस्थान की 33 विधानसभाओं के 24 क्षेत्रों को समृद्ध बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है।
लंबे समय से स्थानीय लोग कर रहे थे मांग
बता दें जल संकट से जूझ रहे मारवाड़ क्षेत्र के संगठन, स्वयंसेवी संस्थाएं तथा जसवंत सागर बांध संघर्ष समिति इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए लंबे समय से मांग कर रही थी। इस मांग को मानते हुए भजनलाल सरकार ने इसकी डीपीआर के लिए 50 लाख रुपए स्वीकृत कर दिए हैं। इससे पहले क्षेत्र के विधायक अर्जुन लाल गर्ग ने इस विषय को विधानसभा में सरकार के सामने उठाया था। उन्होंने कहा था कि इससे भूजल स्तर सुधार के साथ ही पेयजल संकट का भी समाधान होगा।
विधायक ने दिए थे वैज्ञानिकों को सुझाव
इस विषय में क्षेत्रीय विधायक अर्जुनलाल गर्ग ने निम्न सुझाव वैज्ञानिकों की टीम को दिए थे। जिनमें-
• मदासर पेयजल योजना की पाइपलाइन को जोधपुर की जगह पिचियाक होकर जसवंत सागर बांध से जोड़ा जाए।
• जवाई बांध की नहर को गजनाई लाकर बांध से जोड़ा जाए।
• बीसलपुर की डिस्पोजल लाइन को भी जसवंत सागर बांध से जोड़ा जाए।
• माही से पचाना तथा रायपुर होते हुए बांध से जोड़ा जाए।
• यमुना लिंक परियोजना के तहत झुंझुनू, चुरू, परबतसर तथा मेड़ता होकर लूणी नदी के जरिए जसनगर में छोड़ा जाए।
पलायन से मिलेगी मुक्ति
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस परियोजना के साकार होने के बाद भीषण जल संकट के कारण प्रवासी राजस्थानी वापस लौटेंगे। आनानगर से सांचौर तथा कुचेरा-खींवसर से नागौर तक जल संकट से मुक्ति मिल जाएगी, जिससे पलायन कर गए लोग कृषि कार्यों से पुनः जुड़कर क्षेत्र के विकास में योगदान देंगे। इससे क्षेत्र में आजीविका के साधन के साथ उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
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