Rajasthan Politics: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने कांग्रेस की पूर्व गहलोत सरकार के एक और निर्णय को पलटने का निर्णय किया है। राज्य के स्कूलों में उप प्रधानाचार्य के पद को खत्म करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। शिक्षा विभाग की एक समीक्षा बैठक में इस आशय की सहमति बन गई है। इस निर्णय के लागू होने के बाद वर्तमान में जो भी उप प्रधानाचार्य के पद पर पदस्थ हैं, उन्हें पदोन्नति प्रदान कर दी जाएगी।
शिक्षक संघों की मांग हुई पूरी
बता दें राज्य के कई शिक्षक संघ लंबे समय से इस आशय की मांग कर रहे थे। प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विपिन शर्मा का मानना है कि सरकार के इस निर्णय से प्रवक्ता पदों के व्यक्तियों को सर्वाधिक लाभ मिलेगा। इसका आर्थिक लाभ भी होगा। जहां अभी 4800 के ग्रेड से 5400 के ग्रेड में प्रोन्नति होती है, तो अब इस पद की समाप्ति से सीधे 6600 के ग्रेड का अधिकारी हो जाएगा। जिससे यह वर्ग अब सीधे प्रोन्नत होकर प्रधानाचार्य बन सकेंगे। इससे शिक्षकों की कमी से जूझ रहे राज्य को बड़ी राहत मिलेगी।
गहलोत सरकार ने किया था पद सृजित
आपको बता दें अशोक गहलोत सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए इस उप प्रधानाचार्य के पद का सृजन किया था। जिससे विभाग के राजस्व पर भी अतिरिक्त भार पड़ रहा था। शिक्षा विभाग का मानना है कि उप प्रधानाचार्य का पद कांग्रेस सरकार ने अनावश्यक रूप से निहित स्वार्थ में सृजित किया था। जब कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं थी।
शैक्षणिक गुणवत्ता होगी बेहतर
शिक्षा विभाग का मानना है कि इस पद के समाप्ति से व्याख्याताओं को सीधे प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नत होने का लाभ मिलेगा। जिससे स्कूलों में प्रवक्ताओं की कमी पूरी होने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता में भी गुणात्मक सुधार आएगी। इससे रिक्त पदों की स्थिति पर भी प्रभाव पड़ेगा।
प्रशासनिक दक्षता पर सरकार का जोर
शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों के साथ संघों का भी मानना है कि यह कदम राज्य की शिक्षा को ऊपर उठाने तथा प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है। इसके दूरगामी प्रभाव होंगे। जिसका उद्देश्य उच्च स्तरीय प्रशासनिक उत्तरदायित्वों के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के साथ ही स्कूल प्रबंधन को अधिक प्रभावशाली बनाना है।
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