Rajasthan Government NGT Fine Issue: सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार 10 जनवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा राजस्थान सरकार पर लगाए गए 746.88 करोड़ के भारी-भरकम जुर्माने पर रोक लगा दी। यह जुर्माना एनजीटी ने सॉलिड एंड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बनाए गए नियमों के अनुपालन करने में बरती गई कोताही के रूप में लगाया गया था।

जिसमें से लगभग 113 करोड़ का जुर्माना तो इसी महीने जमा करने की डेडलाइन थी। राजस्थान सरकार की ओर से अपने बचाव में एनजीटी पर अपनी कोशिशों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और जुर्माने को अनुचित बताया गया।

जानें क्या है पूरा मामला?

बता दें विगत वर्ष 17 सितंबर 2024 को राजस्थान सरकार के द्वारा सॉलिड एंड वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों में कोताही बरतने के आरोप के बाद 746.88 करोड़ का भारी भरकम जुर्माना लगा दिया था। इसके साथ ही एनजीटी ने राज्य के मुख्य सचिव और शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई का नोटिस जारी कर दिया था।

इसी जुर्माने में से 113.10 करोड़ को तो तत्काल इसी महीने जमा कराने का आदेश दिया था, जिससे चिंतित सरकार ने इसको चुनौती देने के लिए राज्य सरकार की ओर से आज सुप्रीम कोर्ट में एडिशनल एडवोकेट शिवमंगल शर्मा पेश हुए थे।

सरकार ने रखा कोर्ट में अपना पक्ष

शिवमंगल शर्मा ने कोर्ट के सामने राजस्थान सरकार की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए दलील दी कि राज्य सरकार तो पर्यावरणीय नियमों का तो पूरी गंभीरता से पालन करने का प्रयास कर रही थी। किंतु एनजीटी ने हमारे प्रयासों को न सिर्फ अनदेखा किया अपितु अनुचित रूप से 746.88 करोड़ का जुर्माना लगा दिया।

उन्होंने कोर्ट को आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि राज्य सरकार ने 2018 से अब तक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के रूप 2872.07 करोड़ तथा लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट में 4712.98 करोड़ रुपए का निवेश किया है। जिसमे 129 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को 1429.38 एमएलडी क्षमता के साथ शुरुआत के साथ ही पुराने कचरे के 66.55 प्रतिशत निस्तारण करने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। बावजूद राज्य सरकार की वित्तीय सीमाओं को अनदेखा कर एनजीटी ने जुर्माना लगा दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी को दिखाया आईना

दोनों तरफ की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के जुर्माने पर रोक लगाते हुए कहा कि आज का फैसला पंजाब राज्य के एक समान मामले के अनुरूप है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने 1026.19 करोड़ के जुर्माने पर रोक लगाई थी। खंडपीठ ने राजस्थान सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इतने भारी-भरकम वित्तीय जुर्माने और आपराधिक अभियोजन की संभावना से राज्य के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में बाधा उत्पन्न करते हैं।

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