Mount Abu is the summer capital of Rajasthan: राजस्थान का खूबसूरत हिल स्टेशन माउंट आबू भीषण गर्म मौसम में भी अपनी ठंडक के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए कई लोग इसे राजस्थान का कश्मीर भी कहते हैं। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध सिरोहीसिरोही जिले में स्थित माउंट आबू पर्यटन के साथ ही राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र भी है। अंग्रेजों द्वारा यहां बनाए 157 साल पुराने भवन रेजीडेंसी बिल्डिंग में अब राजस्थान का ग्रीष्मकालीन राजभवन चलता है। इसलिए माउंट आबू के राजभवन को राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन रिसोर्ट कहा जाता है।

जानें इस राजभवन का इतिहास

राजस्थान के सिरोही जिले का प्रसिद्ध हिल स्टेशन माउंट आबू राजस्थान के गर्म वातावरण के बीच एक प्राकृतिक रूप से ठंडा स्थान है। जिसके कारण अंग्रेजों ने अपने औपनिवेशिक काल के दौरान 157 साल पहले 1868 ई. में यहां एक शानदार रेजीडेंसी बिल्डिंग का निर्माण कराया था। उस समय लगभग 9 बीघे भूमि पर बने इस भवन की कुल लागत 46305 रुपए आई थी। जिसे मूल रूप से तत्कालीन एजीजी लेफ्टिनेंट कर्नल ईडन की पहल पर गवर्नर जनरल के एजेंट के आधिकारिक निवास हेतु निर्माण कराया गया था।

आजादी के बाद से बना राजभवन

बता दें भारत की आजादी के बाद से ही यहां आकर कई राज्यपाल नियमित तौर पर रुकने के लिए आते रहे। राजभवन के इतिहास की बात करें तो राज्य पुनर्गठन आयोग की सलाह के बाद 1 नवंबर 1956 को राजस्थान का हिस्सा बनाया गया। इसके बाद ही रेजीडेंसी बिल्डिंग को राजभवन का दर्जा दे दिया गया था और फिर इसका राज्यपाल के  ग्रीष्मकालीन रिसॉर्ट के रूप में उपयोग शुरू कर दिया गया।

जानें क्या है राजभवन की खासियत

बता दें जैसे अंग्रेज अधिकारी गर्मी की छुट्टी यहां मनाने आते थे, उसी परंपरा के अनुसार वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल भी ग्रीष्मकालीन कामकाज यहां रहकर करते हैं। यह भवन माउंट आबू की एक पहाड़ी पर घने पेड़ों के बीच ऊंची वादियों में बनाई गई है। इसके चारों ओर दूर-दूर तक घनी हरियाली और जंगल पसरा हुआ है। यह जिस लोकेशन पर स्थित है उस स्थान से पूरे माउंट आबू पर आसानी से नजर रखी जा सकती है। इस भवन के अंदर 7 बेडरूम, 7 बाथरूम, 2 सिटिंग रूम के अतिरिक्त 1 डाइनिंग हॉल भी है। परिसर इतना भव्य है कि इसमें एक साथ स्टाफ के साथ 150 लोग रुक सकते हैं।

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