Rajasthan High Court Reject Appeal of Dargah Anjuman: राजस्थान के अजमेर दरगाह को लेकर नया अपडेट आया है। दरगाह अब कानूनी विवादों में बुरी तरह घिरती जा रही है। इस नए घटनाक्रम के अनुसार राजस्थान हाईकोर्ट ने दरगाह की देखरेख करने वाली संस्था दरगाह अंजुमन की ओर से दाखिल याचिका पर कोई भी त्वरित राहत देने से स्पष्ट इंकार कर दिया है। हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज न करके अजमेर सिविल कोर्ट में चल रही सुनवाई पर किसी भी प्रकार की रोक लगाने स्पष्ट मना कर दिया है।

जानें क्या है अब तक का पूरा घटनाक्रम

बता दें विगत वर्ष 2024 में हिंदू सेना संगठन के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल कर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह को प्राचीन संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया था। इसके साक्ष्य के तौर के रूप में एक पुस्तक अजमेर: हिस्टॉरिकल एंज डिस्क्रिप्टिव के साथ ही अपनी 2 वर्षों के शोध का हवाला देकर इस स्थान को मूल रूप से एक हिंदू स्थल होने का दावा किया था। कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए एएसआई, अल्पसंख्यक मंत्रालय तथा दरगाह कमेटी को नोटिस जारी कर दिया था।

केंद्र सरकार ने अंजुमन के पक्षकार बनने का किया विरोध

राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दरगाह अंजुमन की याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में प्रस्तुत हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल ने इसे खारिज करने की मांग की। उन्होंने तर्क देकर कहा कि अब तक के घटनाक्रम में दरगाह अंजुमन इस मामले में कोई पक्ष नहीं है। अंतः उसके द्वारा हाईकोर्ट से सीधे राहत की कोई मांग करने का अधिकार नहीं है। इस पर दरगाह अंजुमन ने सफाई दी कि उन्होंने अजमेर सिविल कोर्ट में खुद को पक्षकार बनाने का आवेदन पहले ही दे रखा है, जिस पर अजमेर सिविल कोर्ट के द्वारा 19 अप्रैल 2025 को सुनवाई की तारीख दे रखी है। इस सुनवाई पर उनके वकील कोर्ट में उपस्थित रहेंगे।

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