Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान के अजमेर में एक दरगाह है, जिसे अजमेर शरीफ कहा जाता है। यह देश ही नहीं दुनिया में भी काफी मशहूर है। ये दरगाह देश के पवित्र स्थलों में से एक मानी जाती है। यहां देश-विदेश से लोग सर झुकाने आते हैं। यहां पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू समेत अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य राजनेता भी चादर चढ़ा चुके हैं। यह दरगाह गरीब नवाज ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती है। इस दरगाह को लगभग 800 साल पुराना बताया जाता है।
नहीं होता भेदभाव
कहा जाता है कि लगभग 800 साल पहले सैकड़ों मील दूर का कठिन सफर तय करके दरवेश अल्लाह का पैगाम लेकर ईरान से भारत आया था, जो भी दरवेश के पास गया, वो उसका ही होकर रह गया। उसके दर पर किसी के साथ कोई भी भेदभाव नहीं किया जाता था। यहां पर हर मजहब के लोगों को आपसी प्रेम का संदेश मिला है।
दर पर मुस्लिम से ज्यादा आते हैं हिंदू
अजमेर शरीफ में पहले के मुकाबले अब ज्यादा हिंदू लोग आते हैं। अजमेर आने वालों में 60 फीसदी से ज्यादा आबादी गैर मुस्लिम होती है, यानी यहां पर मुस्लिमों से ज्यादा हिंदू लोग जाकर मत्था टेकते हैं और फूल चढ़ाने के साथ ही इबादत करते हैं।
इन राजनेताओं ने भी की इबादत
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी इस दरगाह पर मत्था टेका था। उन्होंने ही ख्वाजा साहब के खादिम परिवार को 'महाराज' नाम दिया था। ख्वाजा की दरगाह के महफिलखाने में बनी सीढ़ियों पर चढ़कर जवाहर लाल नेहरू ने दरगाह में उपस्थित जायरीनों को संबोधित किया था। ख्वाजा की दरगाह के लिए ये ऐतिहासिक पल था। नेहरू जी के अलावा महान कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, अटल बिहारी वाजपेयी, जयप्रकाश नारायण, इंदिरा गांधी, सरोजिनी नायडू, पंडित मदनमोहन मालवीय जैसी विख्यात हस्तियां भी ख्वाजा के दर पर आए।
इन हस्तियों के हाथों से लिखा हुआ नजराना आज भी खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के रिकॉर्ड में सुरक्षित हैं। अगर आप भी अजमेर शरीफ जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आप यहां के बुलंद दरवाजा, औलिया मस्जिद, दरगाह श्राइन, जामा मस्जिद, निजाम गेट और महफिल खाने का दीदार कर सकते हैं।