Alwar: राजस्थान का अलवर जिला अपने कलाकंद के स्वाद के लिए न केवल भारत में बल्कि विदेश तक फेमस है। यह जिला जितना अपने खाने के लिए मशहूर है उतना ही इसका इतिहास लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। अलवर शहर की स्थापना राजा विराट के पिता वेणू ने की थी।

उस समय इसे मत्स्यपुरी के नाम से जाना जाता था। इसके बाद उन्होंने बैराठ नामक नगर भी बसाया था। एक समय था जब यह इलाका महाजनपद के तहत हुआ करता था। इसकी राजधानी विराटनगर हुआ करती थी जिसे बाद में मौर्य साम्राज्य में इसे शामिल किया गया। 

इन पांच देशों को मिलाकर बना था अलवर 

अलवर के इतिहास की बात करें तो यहां कई सालों तक बडगुर्जर राजाओं का शासन रहा। उस समय माचाड़ी इसकी राजधानी हुआ करती थी। अलवर पर मत्स्य देव, पीपल देव, जगन्नाथ, गोगा देव, असलदेव, ईश्वरसेन, संजय आदि राजाओं ने अपनी सत्ता चलाई। 16वीं सदी में माचाड़ी के हेमी ने दिल्ली में मुगलों को हराकर दिल्ली पर राज किया।

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इसके बाद पानीपत के द्वितीय युद्ध में मुगलों ने इन्हें बंदी बनाया और दिल्ली पर वापस अपना राज किया। अकबर ने मेवाड़ राज्य को दो जिलों में बांटा था, एक अलवर और एक तिजारा। इसके बाद सन् 1761 ई. में मुगल शासक खत्म होने के बाद भरतपुर के शासक सूरजमल जाट द्वारा किले पर कब्जा किया गया। सन् 1775 ई. में राव राजा प्रताप सिंह की ओर से जिले की स्थापना से पहले भौगोलिक दृष्टि से यह शहर 5 देशों में विभक्त था। 

1. राठ देश: अलवर के उत्तरी – पश्चिम क्षेत्र को राठ देश के नाम से जाना जाता था। राजा पृथ्वीराज के वंशज ने यहां कई सालों तक राज किया था। 

2. वाल देश: अलवर की पश्चिमी सीमा से सटे इलाके को वाल देश के नाम से कहते थे। यहां शेखावत राजपूतों ने अपनी हुकूमत चलाई थी। 

3. राजावत देश: अलवर का दक्षिण-पश्चिमी इलाका राजावत के नाम से जाना जाता था। भानगढ़ का यह सबसे बड़ा राज्य माना जाता था। राजावत राजपूतों ने कई सालों तक यहां राज किया था। 

4. मेवात:- नरू खण्ड के अलावा बाकी सारा इलाका मेवात कहलाता था। यहां ज्यादातर निवासी मेव हैं, वे मुसलमान हैं लेकिन राजपूत मूल होने का दावा करते हैं। 

5. नरूखण्डः- अलवर का दक्षिण-पूर्व क्षेत्र नरूखण्ड के नाम से प्रसिद्ध था। इसका निर्माण नरूका राजपूतों ने कराया था।