Paradise of Birds: देशभर से लंबी दूरी तय करके आने वाले पक्षियों का स्वर्ग कहे जाने वाला भरतपुर के किले, महल और यह यहां के मंदिर यहां के शासकों के प्रेम का अद्भुत प्रतीक है। यहां पुरुषों के द्वारा एक नृत्य किया जाता है, जिसे बम रसिया के नाम से जानते हैं। यह होली के शुभ अवसर पर किया जाता है। इस अनोखे नृत्य में नगाड़े बजाने के लिए मोटे डंडों का प्रयोग किया जाता है। आज हम आपको यहीं के नजदीक बसे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के बारे में बताएंगे। यह जगह पक्षियों के लिए स्वर्ग कहा जाता है।
बड़ा क्षेत्र में फैला है यह उद्यान
राजस्थान राज्य में स्थित भरतपुर के दक्षिणी पूर्व में गंभीरी और बाणगंगा नदियों के संगम पर स्थित विश्व प्रसिद्ध केवला देव राष्ट्रीय उद्यान विश्व के सबसे ज्यादा मनमोहक वाले जलपक्षी की शरणस्थलों में से एक है। उद्यान के बीच में बने केवला देव यानि शिव मंदिर के नाम पर इसका नाम रखा गया है। यह एक ऐसा पार्क है जो करीब 28.73 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
यह नेशनल पार्क प्राकृतिक छिछली तश्तरी के रूप में बना हुआ है। इस पार्क को पहले घाना बर्ड सेंचुरी के नाम से भी जाना जाता था। 27 अगस्त 1981 को राज्य सरकार ने इसे नेशनल पार्क घोषित कर दिया। उसी साल केवला देव नेशनल पार्क को रामसर साइट की सूची में शामिल किया गया और इसके जैविक एवं परिस्थितिक महत्व को देखते हुए इसे साल 1985 में विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में शामिल कर लिया गया।
ठंड बिताने यहां आती हैं हजारों प्रजातियां
पूरे देश में भरतपुर का केवला देव नेशनल पार्क एक ऐसा जगह है जहां साइबेरियन क्रेन ठंड बिताने के लिए आते हैं। यह हरेक वर्ष अक्टूबर के अंतिम हफ्ते या नवंबर के पहले सप्ताह में आते हैं। यह करीब 2 महीने रहने के बाद फरवरी के अंत या मार्च के पहले सप्ताह में वापस साइबेरिया चले जाते हैं। पक्षियों के लिए स्वर्ग कहे जाने वाले इस जगह में करीब 400 के आसपास के प्रजाति के पक्षियों की सूचीबद्ध किया जाता है। इन प्रजातियों में करीब 120 प्रजाति के प्रवासी तथा शेष आवासी पक्षी हैं। हरेक नए साल की शुरुआत होते ही भारत के अलग अलग हिस्सों से यहां आते हैं और नीड़ का निर्माण करते हैं।
कई तरह की प्रजातियां होती हैं यहां जमा
यहां हरेक साल ओपेन बिल्ड स्टार्क, पेंटेड स्टार्क, इगरेट, स्पूनबिल, कारमोरेंट, स्नेक बर्ड, ग्रेहिरान और व्हाइट आईबीस जैसे बर्ड्स यहां आते हैं। यहां पक्षी अपने जोड़े बनाकर प्रजनन करते हैं। इन विभिन्न पक्षियों के द्वारा बनाए गए घोंसले कुशल कारीगरी का परिचय देते हैं। यहां के जलीय एरिया में करीब 100 वनस्पति की प्रजातियां पाई जाती हैं।