Battles of Rajasthan: राजस्थान को हमेशा सही युद्धों की धरती कहा गया है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि यह राज्य भारत के सीमा पर स्थित है। इसी वजह से आजादी से पहले से लेकर आजादी के बाद तक यह क्षेत्र हमेशा हीं युद्ध के लिए जाना गया। आईए जानते हैं राजस्थान की धरती पर हुए कुछ ऐसे महान युद्धों के बारे में जिन्होंने इतिहास में कई बड़े बदलावों का रास्ता प्रशस्त किया था।

हल्दीघाटी का युद्ध

1576 ईस्वी में हुआ यह युद्ध राजस्थान की हल्दीघाटी में मुगल सम्राट अकबर और मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप के बीच हुआ था। यह संघर्ष मेवाड़ की स्वतंत्रता के प्रति समर्पण और राजपूत स्वाभिमान की महान गाथा को दर्शाता है। अकबर ने अधिकांश राजपूत राज्यों को अपने क्षेत्र के अधीन कर लिया था, लेकिन महाराणा प्रताप ने इसके खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व किया।

यह युद्ध अकबर की साम्राज्यवादी नीति और महाराणा प्रताप के स्वतंत्रता के आदर्शों के बीच हुआ था। महाराणा प्रताप की सेना में भीलों का बहुत बड़ा योगदान था। मुगल सेना संगठित और बड़ी भले ही थी, लेकिन महाराणा प्रताप की सेना, भले ही संख्या में कम थी, बहादुरी में अद्वितीय थी। यह युद्ध लगभग अनिर्णायक ही रहा, लेकिन महाराणा प्रताप की वीरता ने उन्हें स्वतंत्रता का प्रतीक बना दिया।

खानवा का युद्ध

1527 में हुआ यह युद्ध भरतपुर जिले के खानवा नामक स्थान पर हुआ था। इस युद्ध में महाराणा सांगा ने हिंदू राजाओं को संगठित कर बाबर के खिलाफ युद्ध लड़ा था। महाराणा सांगा इस युद्ध में घायल भले ही हुए, किंतु राजपूती परंपरा के अनुसार युद्धभूमि को कभी नहीं त्यागा। बाबर ने मुगल साम्राज्य की स्थापना के लिए काबुल से भारत पर आक्रमण किया था और अपने आधुनिक हथियारों, तोपों की ताकत के कारण युद्ध का रुख बदल दिया था।

जिहाद के सिद्धांत का उपयोग कर बाबर ने अपनी सेना का मनोबल बढ़ाए रखा था, किंतु फिर भी राजपूतों ने वीरता से युद्ध किया। बाबर की आधुनिक तोपों ने इस युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई। इस युद्ध में बाबर की जीत ने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी।

चित्तौड़ में हुए तीन साके

1. अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण

रानी पद्मिनी की सुंदरता की ख्याति सुनकर अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया था। इस युद्ध में राजा रतन सिंह ने वीरता से किले को बचाने का प्रयास किया, और किले में रानी पद्मिनी और अन्य महिलाओं ने जौहर कर अपने आत्मसम्मान की रक्षा की।

2. गुजरात के बहादुर शाह का आक्रमण

बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर कब्जा करने के लिए आक्रमण किया था। इसके पश्चात चित्तौड़ के किले में निवासियों द्वारा जौहर और शाका किया गया।

3. अकबर द्वारा आक्रमण

मेवाड़ को मुगल साम्राज्य में जोड़ने के लिए अकबर ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया था। यह युद्ध इतिहास का सबसे भयानक आक्रमण साबित हुआ, जिसमें 30,000 से ज्यादा निर्दोष नागरिकों की हत्या हुई। इसके पश्चात चित्तौड़ में जौहर और शाका की परंपरा तीसरी बार दोहराई गई।

रणथंभोर का युद्ध

यह युद्ध रणथंभोर के राजा हम्मीर देव चौहान और अलाउद्दीन खिलजी के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध राजपूत स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक माना जाता है। राजा हम्मीर देव चौहान ने दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के भागे हुए सेवकों को शरण दे दी थी।

इसके पश्चात उन्होंने उन सेवकों को अपना धर्म निभाते हुए उनकी सुरक्षा का वचन दिया। जब अलाउद्दीन खिलजी ने उन सेवकों को वापस मांगा, तब हम्मीर देव ने उन्हें देने से मना कर दिया। इसके पश्चात यह युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में राजा हम्मीर देव ने आखिरी दम तक लड़ाई लड़ी। इस किले पर कब्जे के पश्चात भी राजपूतों ने अपनी संस्कृति और परंपरा को बनाए रखा।

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