Dausa Mahua Fort: राजस्थान के दौसा जिले के महुवा कस्बें में स्थित किला अपने इतिहास और अनोखे तथ्यों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस किले का निर्माण लगभग 400 साल पहले हुआ था। यह किला अब रखरखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुका है। स्थानीय लोगों के मुताबिक इस किले में अकूत धन संपदा छिपी हुई है। आज भी एक नाग-नागिन का जोड़ा इस किले की रक्षा कर रहा है।

किले का इतिहास 

इस किले का निर्माण राजा राजसिंह द्वारा 400 साल पहले कराया गया था। इस किले को भरतपुर की तरफ से होने वाले आक्रमण से बचने और सबसे पहले मोर्चा सम्भालने की जिम्मेदारी दी गई थी। इससे की जयपुर रियासत को हमलों से बचाया जा सके और समय रहते जयपुर के राजा को हमले के संबंध में सूचित किया जा सके। इसके अलावा यहां पर दुश्मन को रोकने के लिए एक तोप भी तैनात की गई थी। जिससे दुश्मन थर-थर कांपते थे। 

इतिहासकारों के मुतबिक इस किले में जय भवानी नामक एक तोप हुआ करती थी। इस कई बार ले जाने के लिए आक्रमण हुए परंतु इसके भारीभरकम और ताकतवर होने की वजह से इसे कोई नहीं ले जा सका। इसी क्रोध में आक्रमणकारियों ने इसे कुए में फेंक दिया था। कई बार इस तोप को कुए में देखा गया है।

किले की रखवाली करता है नाग-नागिन का जोड़ा

स्थानीय लोगों की मानें तो इस किले में अकूत धनसंपदा छिपी हुई है। जिसकी रक्षा आज भी किले की रक्षा एक नाग-नागिन के जोड़ा द्वारा की जा रही है। यह किवदंती है कि कोई भी व्यक्ति जब किले के भीतर धन संपदा खोजने जाता है तो उसे नाग-नागिन के जोड़े का सामना करना पड़ता है। यहां के लोगों ने उन्हें कई बार किले के द्वार पर देखा गया है। ऐसा माना जाता है कि यह जोड़ा आज भी किले की पहरेदारी कर रहा है। 

किले में मौजूद है शीला देवी का मंदिर

इस किले में शीला देवी का एक प्राचीन मंदिर मौजूद है। पौराणिक कथा के मुताबिक इस इलाके में शिकार करने और सांप मारने पर रोक हुआ करती थी। एक बार एक किलेदार ने एक सांप को मार दिया था, जिसके परिणाम स्वरूप उसके परिवार को देवी के प्रकोप का सामना करना पड़ा था। इसी वजह से किले के प्रांगण में सांप स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं। नाग-नागिन के जोड़े को भी इससे जोड़कर देखा जाता है।