Gogunda Palace: राजस्थान में कई महल स्थित है, जो अपने खास इतिहास के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। इन्हीं दुर्गों में से एक है उदयपुर का गोगुन्दा महल जहां अकबर के आक्रमण के बाद चित्तौड़ के राजा महाराणा उदय सिंह अपने परिवार के साथ चले गए थे।

बता दें कि यह वही महल है जहां महाराणा उदय सिंह की मृत्यु हुई थी। महाराणा उदय सिंह के बाद कुँवर प्रताप ने गोगुन्दा महल की राजगद्दी पर बैठकर राज्य का भार संभाला था। इस महल में भी कुंवर प्रताप महाराणा प्रताप कहलाए थे। माना जाता है कि महल के पास बनी बावड़ी में ही महाराणा प्रताप का राजतिलक कराया गया था। 

गोगुंदा महल का इतिहास 

इस महल को ईडरिया महल के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका निर्माण गुजरात के ईडर के राठौड़ वंश ने तेरहवीं सदि में कराया था। उस समय राज्य में व्यापारिक गतिविधियों को रोकने के लिए ईडर के शासकों ने इस महल को थाने के रूप में स्थापित किया था।

ईडर के राजा इस महल को अपनी आखिरी चौकी के रूप में काम किया करते थे। जानकारी के लिए बता दें कि महाराणा उदय सिंह से पहले गोगुन्दा का इलाका मेवाड़ राज्य के खालसा क्षेत्र में आता था। खालसा सीमावर्ती क्षेत्रों की परिधि के बीच का इलाका हुआ करता था, जिस पर राजा का सीधा नियंत्रण होता था।  

महल के पास स्थित है खेतला तालाब 

गोगुन्दा महल मध्यकालीन में राजपूत शैली में बना एक अनोखा नमूना है। इस महल के गुंबद भवन में पांच आंतरिक दरबार बनाए गए हैं। इन दरबारों में समय के साथ-साथ बदलाव किए जा चुके हैं। इसके अलावा इस महल के पास खेतला तालाब भी बना हुआ है, जिसे महाराणा खेता द्वारा बनवाया गया था। तालाब के साथ-साथ राजा ने गोगुन्दा में महादेव का मंदिर व एक बावड़ी का भी निर्माण कराया था। बताया जाता है कि इस बावड़ी में ही महाराणा प्रताप का राजतिलक हुआ था।

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