Jaigarh Fort: साल 1976 देश में आपातकाल की घोषणा हुई थी, उस समय जब देश के प्रमुख विपक्षी दल के नेता जेल में बंद थे, तब तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने राजस्थान के जयगढ़ किले में एक रहस्यमई खजाने को खोजने के लिए सेना की टुकड़ी तैयार की थी। इस किले में छिपा हुआ खजाना आज भी मिस्ट्री बना हुआ है और खोज के बाद भी कोई रिजल्ट हासिल नहीं हुआ है।
अकबर के सेनापति ने किया खेल
जयगढ़ किले का खजाना मुगल काल के समय का था, जब अकबर ने अपने सेनापति राजा मान सिंह को अफगानिस्तान पर जीत हासिल करने के लिए भेजा था। मान सिंह ने उसमें जीत हासिल करने के बाद भारी मात्रा में खजाना लेकर जयपुर लौटे, लेकिन उन्होंने इसके बारे में अकबर को नहीं बताया और जयगढ़ किले में सारे खजाने को दफन कर दिया। इस रहस्य के बारे में आरएस खानगरोट और पीएस नाथावत की 1990 में प्रकाशित बुक जयगढ़ द इनविजिबल फोर्ट ऑफ अंबेर में विस्तार से बताया गया है।
इंदिरा गांधी के शासनकाल में हुई खुदाई
जब देश में आपातकाल की स्थिति उत्पन्न हुई थी, उस समय इंदिरा गांधी के ऊपर मीडिया का दबाव था। इसके साथ ही विपक्षी नेताओं की मौजूदगी के कारण वह इस खजाने की खोज कर सकती थीं। इसी दौरान, कांग्रेस विरोधी राजमाता गायत्री देवी को भी गिरफ्तार करवा लिया गया और सेना के साथ आयकर विभाग और अन्य सरकारी टीमें एकसाथ मिलकर इस किले में खुदाई की। यह करीब पांच महीने तक चली थी। खुदाई के समय में अक्सर किले के ऊपर से हेलीकॉप्टर उड़ते हुए दिखाई देते थे। ऐसे में और ज्यादा अफवाहों पर ध्यान लोगों का बढ़ने लगा।
खुदाई के दौरान जब बंद हुआ दिल्ली- जयपुर हाइवे
जब जयगढ़ किले की खुदाई चल रही थी, उस दौरान इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी वहां पहुंचे थे। जब खुदाई का कम पूरा हो, तब इंदिरा गांधी ने कहा कि जयगढ़ में 230 किलो चांदी के अलावा कोई खजाना नहीं मिला है। इस समय के बाद इस खजाने का रहस्य अभी तक बना हुआ है। कुछ लोगों का तो ऐसा मानना है कि जब इसकी खुदाई चल रही थी, उस वक्त जयपुर दिल्ली हाइवे को बंद कर दिया गया था। खुदाई के बाद 50 से 60 ट्रक दिल्ली गए, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी कि इन ट्रकों में क्या था?
जयगढ़ किले में छिपे खजाने का रहस्य अभी तक बना हुआ है। इस खजाने को निकालने के लिए आरटीआई डाले गए, लेकिन उसके बाद भी कुछ हाथ नहीं लगा। आज भी लोगों के मन में इसे ढूंढने की चाहत बनी हुई है।