Jaldevi Temple: राजस्थान के राजसमंद जिले में रेलमगरा उपखण्ड में सांसेरा गांव है, जहां पर जलदेवी का मंदिर है। ये मंदिर चारों ओर जल से घिरा हुआ है। कहा जाता है कि अकाल पड़ने के समय भी यहां के जलाशय कभी नहीं सूखते। इस मंदिर का इतिहास और यहां की मान्यताएं काफी खास हैं। कहा जाता है कि जलदेवी का ये मंदिर हजार सालों से ज्यादा पुराना है। यहां मां के दो मंदिर हैं एक मूर्ति सामने ही है और दूसरी जल के अंदर। 

महाराणा प्रताप ने यहीं काटी थी अकबर की मूंछ

इतिहासकारों की मानें, तो हल्दीघाटी के युद्ध के बाद अकबर ने यहीं पर डेरा डाला था। यहां पर चार चौकियां बनाई गईं और मोही में स्थापित चौकी का मोर्चा खुद अकबर ने संभाला था। इस दौरान महाराणा प्रताप अपने दो साथियों के साथ यहां आए और और सोते हुए अकबर पर वार करने की जगह उसकी मूंछ काटकर अकबर के ही पैरों में रख दीं। जब सुबह अकबर की नींद खुली, तो हाथ में बंधी चिट्ठी और कटी हुई मूंछ देख अकबर मेवाड़ छोड़कर चला गया।

12 महीने लगातार जलती है अखंड ज्योत

इस मंदिर में 12 महीने लगातार अखंड ज्योत जलती है। जो भी व्यक्ति यहां भक्ति भाव के साथ आता है, मां उसके सभी काम पूरे करती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां साल में एक बार नवरात्रि के समय पानी का दीपक जलता है। यहां पर बना तालाब अकाल के समय पर भी नहीं सूखता है। माना जाता है कि जल में विराजित मां जलदेवी की प्रतिमा के दर्शन हो पाना काफी दुर्लभ है। जब तालाब का पानी कम होता है, तभी मां के दर्शन होते हैं। बहुत से ऐसे भक्त हैं, जो कई बार मंदिर जा चुके हैं और केवल एक बार ही मां के दर्शन कर पाए हैं। 

कैसे पहुंचें मां के दरबार

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको राजस्थान पहुंचना होगा। इसके बाद आप उदयपुर या राजसमंद से होते हुए यहां पहुंच सकते हैं। उदयपुर की तरफ से फतहनगर और दरीबा होकर संसेरा आना होगा। वहीं राजसमंद से रेलमगरा और दरीबा से सांसेरा पहुंच सकते हैं। इसके अलावा आप चित्तौड़गढ़ के रास्ते भी यहां पहुंच सकते हैं। चित्तौडगढ़ की तरफ से आने वाले श्रद्धालुओं को कपासन, भूपालसागर होते हुए दरीबा और फिर सांसेरा जाना होगा।

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