Karauli: राजस्थान के पूर्वी भाग में स्थित करौली जिला साल 1997 में राज्य का 32वां जिला घोषित किया गया था। यह स्थान न केवल अपने ऐतिहासिक स्थलों व मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, बल्कि देश की बड़ी बड़ी इमारतें का निर्माण यहां के खास लाल पत्थर से किया गया है।
इतिहासकारों के लिए यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। कार्ल मार्क्स व कर्नल टॉड जैसे बड़े विद्वानों ने भी इस जिला का उल्लेख अपनी किताबों में भी किया है। यहां के लांगुरिया लोकगीत और जोगनिया नृत्य आज भी दुनिया में मशहूर हैं। गुर्जर और मीणा समाज के लोगों द्वारा यहां हर साल देवी मेले का आयोजन किया जाता हैं।
ये भी पढ़ें:- IPS Success Story: राजस्थान पुलिस को मिली तीन नई लेडी सिंघम, जानें इनकी बायोग्राफी
भगवान श्री कृष्ण के वंशजों ने किया था जिले का निर्माण
कल्याणी नदी के किनारे बसे होने के कारण करौली जिले को पहले कल्याणपुरी नाम से जाना जाता था। मान्यता है कि जिले की स्थापना 955 ई. में राजा विजय पाल द्वारा की गई थी। इन्हें भगवान कृष्ण का वंशज भी कहा जाता है। इसके बाद धर्मपाल द्वितीय ने राज्य पर शासन किया था। आजादी के समय शासक महाराज गणेश पाल देव ने इसे भारत में शामिल करने फैसला लिया था। साल 1949 में इस जिले के भारत का हिस्सा बनाया गया था। हिंदू ग्रंथों में आज भी करौली के राजा मोरध्वज की नगरी गढमोरा के प्रमाण मिलते है।
सिटी पैलेस और किलों के प्रसिद्ध है जिला
जिले का सिटी पैलेस देश के प्रमुख स्थलों में एक माना जाता है। इसका निर्माण 14वीं सदी में अर्जुन पाल ने किया था। साथ ही राजा गोपाल सिंह ने इस महल का पुनर्निर्माण किया था। साथ ही भंवर विलास पैलेस का निर्माण शासक महाराजा गणेश पाल ने बनवाया था, यह पैलेस आज भी सैलानियों की पहली पसंद हैं। साथ ही यहां के मंदिर भी देश के प्रमुख मंदिरों में शामिल हैं।