राजस्थान में वैसे तो कई सारे मंदिर हैं जिसका इतिहास काफी पुराना और ऐतिहासिक रहा है। इन्हीं मंदिरों में एक किराडू मंदिर का नाम भी शामिल है। राजस्थान का किराडू मंदिर एक प्रमुख स्थल है, जो यहां आने वाले पर्यटकों के आकर्षण के बजाय एक डरावना स्थान माना जाता है। किराडू मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह कई मंदिरों का समूह है, जिसे राजस्थान के खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पुरानी भूतिया कथाओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर प्रेमियों के सबसे ज्यादा पसंदीदा स्थान भी है। इस मंदिर के पास एक भूतिया इलाका है जहां जाने के बाद कलेजा कांप जाता है। 

सूर्यास्त के बाद लगने लगता है भय 

इस किराडू मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां सूर्य अस्त होने के बाद कोई नहीं जाता है, क्योंकि जो सूर्यास्त के बाद यहां जाता है वो पत्थर बन जाता है। यह कहानी मंदिर के पुरानी इतिहास को लेकर याद की जाती है। इस कहानी को सुनने के बाद डर का माहौल दिल में बनने लगता है। इस रोमांचित मंदिर के इतिहास को लेकर शोधकर्ताओं का मानना है कि 11वीं शताब्दी के आसपास इसका निर्माण करवाया गया था। इसका निर्माण कार्य को पूरा करवाने में दुलाशराजा का हाथ रहा है।

चालुक्य वंश से है इस मंदिर का अस्तित्व 

इस किराडू मंदिर की दीवारों पर कई शिलालेख मौजूद हैं जो 12वीं शताब्दी के अस्तित्वों को परिभाषित करते हैं। इसका संबंध चालुक्य वंश से माना जाता है। इस मंदिर के अंदर खंभों पर इसी तरह की पटकथाओं के साथ उत्कीर्ण हैं और वे मदन भ्रमदेव चौहान के शासनकाल के दौरान चालुक्य वंश के प्राचीन युग के हिंद कैलेंडर से जुड़े हुए हैं। इसके आसपास के क्षेत्र में तीन मंदिर स्थित हैं और वे सारे भगवान शिव और भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस मंदिर की स्थिति बेहद ही भयावह है। 

ऋषि के श्राप से महिला बनी पत्थर 

किराडू मंदिर के इतिहास को लेकर ऐसा कहा जाता है कि एक ऋषि ने यहां का दौरा किया था और कुछ दिनों के लिए वह यहां से दूर कहीं गया था और ग्रामीणों को शिष्यों की देखभाल करने के लिए कहा था। वहां एक औरत थी, जो ऋषि के सारे शिष्यों की देखरेख का काम करती थीं। कुछ समय बाद जब ऋषि यहां आया, तो उसने अपने सारे शिष्यों को मृत अवस्था में पाया।

ऐसे में ऋषि ने गुस्से में आकर गांव के लोगों को श्राप दे दिया कि यहां आने वाले लोग पत्थर बन जाएंगे। महिला को लेकर ऋषि ने कहा कि वह इस श्राप से बचना चाहती हैं तो इस गांव को छोड़कर चली जाएं। उस महिला ने वहां से भागने की ठान ली, लेकिन जाते जाते उसने पीछे मुड़कर देख लिया, जिससे वो पत्थर बन गई। 

शाम के बाद भय से नहीं जाते इंसान 

अब उस गांव की सीमा के पास एक पत्थर है जो उसी महिला के बताए जाते हैं। ऐसे में इस भयावह स्थिति को जानकर लोगों के रूह कांपने लगते हैं। इसलिए आसपास के लोग इस कहानी को सच मानते हैं। सूर्य के ढलने के बाद कोई भी इंसान यहां नहीं आता है।