President's rule in Rajasthan: राजस्थान को अब तक 14 सीएम मिल चुके हैं, वहीं प्रदेश में 4 बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है। 13 मार्च 1967 से 26 अप्रैल 1967 तक राजस्थान में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था क्योंकि विधानसभा के चौथे आम चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिली थी। इसके कारण 44 दिनों तक विधानसभा निलंबित रही थी। 

पहली बार राष्ट्रपति शासन 
प्रदेश में पहली बार राष्ट्रपति शासन के समय डॉ. सम्पूर्णानंद राज्यपाल के पद पर आसीन थे। इस दौरान राज्यपाल की मदद से लिए राज्य को संभालने के लिए केंद्र की ओर से भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो वरिष्ठ अधिकारी सदानंद वामन व आर. प्रसाद को जयपुर भेजा गया था। इस दौरान प्रदेश के मुख्य सचिव के. पी. यू. मेमन थे।

महामहिम राज्यपाल डॉ. सम्पूर्णानंद का कार्यकाल 15 अप्रैल 1967 को समाप्त हो गया था, जिसके बाद नए राज्यपाल सरदार हुकुम सिंह ने 16 अप्रैल 1967 को अपना पद संभाला और इसी दौरान प्रतिपक्ष के कुछ विधायक टूट कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इस पर मोहनलाल सुखाडिया ने प्रदेश के नए राज्यपाल के सामने अपना बहुमत साबित कर 26 अप्रैल 1967 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इस प्रकार राजस्थान में 26 अप्रैल 1967 को 44 दिनों में पहला राष्ट्रपति शासन खत्म हुआ था। 

राजस्थान में दूसरा राष्ट्रपति शासन
प्रदेश में दूसरा राष्ट्रपति शासन 29 अप्रैल 1977 को लागू हुआ था, जो 22 जून 1977 तक रहा था। इस दौरान राजस्थान में दो राज्यपाल रहे थे। 14 फरवरी 1977 को तत्कालीन राज्यपाल जोगेन्द्र सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके बदले 15 फरवरी से 11 मई 1977 तक मुख्य न्यायाधीश वेदपाल त्यागी ने कार्यभार संभाला था। जिसके बाद रघुकुल तिलक को 12 मई 1977 को राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उनके कहने पर केंद सरकार की ओर से दो सलाहकारों की नियुक्ति की गई थी। 

राजस्थान में तीसरा राष्ट्रपति शासन
कांग्रेस सरकार द्वारा भैरोसिंह शेखावत सरकार को बर्खास्त कर विधानसभा भंग कर के 17 फरवरी 1980 को राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। यह 5 जून 1980 तक रहा था। इस दौरान राजस्थान के राज्यपाल रघुकुल तिलक थे। उस समय गोपालकृष्ण भनोत को मुख्य सचिव के रूप में चुना गया था। 

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राजस्थान में चौथा राष्ट्रपति शासन
साल 1992 में अयोध्या में घटी घटनाओं के बाद केंद्र सरकार की ओर से भैरोसिंह शेखावत सरकार को 15 दिसम्बर 1992 को बर्खास्त कर दिया गया था। जिसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। 3 दिसम्बर 1993 तक राष्ट्रपति शासन जारी रहा था। इस दौरान डॉ. एम. चन्ना रेड्डी एवं धनिकलाल मंडल राज्यपाल (कार्यवाहक) रहे थे।