Rajasthan Pokhran: राजस्थान के जैसलमेर से 110 किलोमीटर दूर जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर स्थित पोखरण एक प्रमुख कस्बा है। पोखरण शब्द का अर्थ राजस्थानी भाषा में 'पांच नमक पहाड़ियों से घिरा हुआ क्षेत्र' होता है। इसके अलावा, पोखरण को पांच मृगतृष्णाओं का स्थान भी कहा जाता है। पोखरण अपने यहां हुए परमाणु परीक्षणों के लिए जाना जाता है।
ऐतिहासिक परिदृश्य
पोखरण किला, जिसे बालगढ़ भी कहा जाता है। इसका निर्माण चौदहवीं शताब्दी में किया गया था। उस समय इस दुर्ग पर चंपावतों का अधिकार था। आज के समय में इस किले को एक हेरिटेज साइट बना दिया गया है, जिसका रख-रखाव पोखरण की रॉयल फैमिली द्वारा किया जा रहा है। इस किले को विजिटर्स के लिए खोल दिया गया है। स्वतंत्रता से पहले पोखरण के अंतिम जागीरदार भवानी सिंह जी थे, जो स्वतंत्रता के पश्चात 1952 के आम चुनाव में बारमेर-जालौर सीट से लोकसभा सदस्य के रूप में भी चुने गए।
पोखरण का दुर्ग
पोखरण में लाल पत्थरों से निर्मित एक सुंदर दुर्ग है। इसका निर्माण सन 1550 में राव मालदेव जी के द्वारा करवाया गया था। राव मालदेव जी, राव जोधा जी के वंशज, राव गंगा के पुत्र और राव चंद्रसेन जी के पिता थे। अब यह स्थान बाबा रामदेव के गुरुकुल के नाम से प्रसिद्ध है। पोखरण से 3 किलोमीटर दूर स्थित सातलमेर को पोखरण की प्राचीन राजधानी माना जाता है। पोखरण के पास घूमने के लिए बहुत सारे दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें आशापूर्णा मंदिर, खींवज माता का मंदिर, कैलाश टेकरी आदि प्रमुख है।
यहीं हुआ था परमाणु परीक्षण
पोखरण वही स्थान है जहां भारत का सबसे पहला परमाणु परीक्षण हुआ था। पहला भूमिगत परीक्षण 18 मई 1974 को हुआ था। उस समय भारत सरकार ने घोषणा की थी कि यह कार्यक्रम शांतिपूर्ण कार्यों को हल करने के लिए किया गया है, और इस कार्यक्रम के पीछे का उद्देश्य भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाना था। इसके पश्चात पांच और परीक्षण 11 और 13 मई 1998 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में किए गए। इन परीक्षणों के बाद भारत ने अपने आप को एक परमाणु संपन्न देश घोषित कर दिया।
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