Ajmer City History: आज हम हजारों साल पुराने राजस्थान के एक ऐसे शहर की चर्चा करेंगे, जो अनेक चौकाने वाले रहस्यों से भरा हुआ है। यहां से जुड़े कुछ चौकाने वाले तथ्य और शानदार इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण बातें इतिहास के पन्नों में दर्ज है। यह शहर पहाड़ों की गोद में बसा हुआ है। राजस्थान का अजमेर विश्व भर में प्रसिद्ध है।अजमेर का पुराना नाम अजयमेरु था। अजयमेरु को 1123 ई में अजयराज चौहान ने बसाया था। उनके बाद यहां के राजा सम्राट पृथ्वीराज चौहान बने थे। अजय का मतलब होता है जिसे जीता ना जा सके, मेरु का मतलब होता है पहाड़ी।
तारागढ़ दुर्ग में है भारत की इकलौती घोड़े की मजार
पुराने समय में यहां की पहाड़ियों में मेर नामक जनजाति रहती थी। इसलिए इस इलाके को अजयमेरु कहा जाता था। इसके तारागढ़ दुर्ग में भारत की इकलौती घोड़े की मजार है। जहां पर चने की दाल चढ़ाने से मन्नतें पूरी होती हैं। देश की एकमात्र बाल संसद भी अजमेर में ही है। जिसमें आसपास के स्कूलों से एक विद्यार्थी चुनकर प्रधानमंत्री बनाया जाता है। यहां के खोबर नाथ शनिदेव मंदिर में सात शनिवार पूजा करने से शादियां हो जाती है।
इसलिए यह मंदिर शादी देव नाम से भी प्रसिद्ध है। अजमेर के भिलाई में एक अनोखी होली खेली जाती है। जिसमें देवर भाभी को कोडों से मारता है। इस होली को कोड़ा मार होली भी कहते हैं। जिस कल्प वृक्ष की बात हमने धार्मिक किताबों में सुनी है। वह कल्पवृक्ष अजमेर के मांगलियावास गांव में मौजूद है। यह राजस्थान का इकलौता कल्पवृक्ष है। यहां हर साल हरियाली अमावस्या को मेला लगता है।
अजमेर को तीर्थों का मामा कहा जाता है
अजमेर दुनिया भर में पुष्कर के कारण जाना जाता है। पुष्कर में भारत का एकमात्र ब्रह्मा जी मंदिर है। जिसके ऊपर चर्च की तरह एक क्रॉस का निशान लगा है। इस शहर में छोटे-बड़े लगभग 500 मंदिर है। इसलिए इस शहर को तीर्थो का मामा कहा जाता है। यहां की फेमस गुलकंद की मिठास दूर-दूर तक फैली हुई है। यहाँ के पुष्कर में हर साल 5 दिन के लिए पुष्कर मेला लगता है। इसे राजस्थान का सबसे रंगीला मेला कहते हैं। इस मेले को मेवाड़ का कुंभ भी कहा जाता है। यह शहर गुलाम मंडी के लिए प्रसिद्ध है।
तारागढ़ किले को कहते हैं रूठी रानी का महल
अजमेर के तारागढ़ में एक ऐसा महल है। जिसे रूठी रानी का महल कहते हैं। बताया जाता है कि जैसलमेर के राव मालदेव की पत्नी उमादे जीवन भर रूठ कर इसी महल में रही थी। उसके बाद जहांगीर की पत्नी नूरजहां भी उनसे रूठ कर यही रहने लगी। नूरजहां को मनाने के लिए जहांगीर खुद 21 बार इस महल में आया था। नूरजहां को खुश करने के लिए उसे इस किले में चश्मा-ऐ-नूर महल बनवाना पड़ा था।
नसिया जैन मंदिर कहलाता है राजस्थान का अक्षरधाम
अजमेर में स्थित सोनीजी की नसिया जैन मंदिर को राजस्थान का स्वर्ण मंदिर कहा जाता है। इसका आंतरिक भाग सोने से बना हुआ है। जिसे बनाने में 400 किलो सोना उपयोग किया गया था। इस मंदिर को जैन भामाशाह मूलचंद सोनी ने बनवाया था। यह राजस्थान का अक्षरधाम भी कहलाता है। प्यार के लिए मशहूर ढोला-मारू की शादी अजमेर की बघिरा गांव में हुई थी। बघिरा का तोरण द्वार आज भी उस घटना की गवाही देता है।
ढाई दिन का झोपड़ा 60 घंटे में बनकर हुआ तैयार
अजमेर में ढाई दिन का झोपड़ा, 16 खम्मा की एक अनोखी मस्जिद है। कहते हैं कि इसे लगभग 100 मजदूर ने सिर्फ 60 घंटे में बना दिया था। यह मस्जिद सिर्फ ढाई दिन में बनकर तैयार हुई थी। इसलिए इसे ढाई दिन का झोपड़ा कहते हैं। ऐसा बताया जाता है कि मोहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने विग्रहराज चितबूद की बनवाई हुई कंठाभरण पाठशाला को तुड़वाकर यह बनवाई थी।
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