Chittorgarh Fort: राजस्थान का चितौड़गढ किला विश्व भर में प्रसिद्ध है। शायद ही कोई ऐसा होगा, जो इसके बारे में नहीं जानता होगा। इस किले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। राजस्थान का ये चित्तौड़गढ़ किला 700 एकड़ की जमीन में फैला हुआ है चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान के बेराच नदी के किनारे बसा गया है।

ये किला पहाड़ी की ऊंची चोटी पर बना हुआ है, जो सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है। राजस्थान का ये चितौड़गढ़ किला सबसे ऊंचे किलो में से एक माना गया है, जिसकी लंबाई 3 किमी के और परिधीय लंबाई 13 किमी में फैली हुई है। चितौड़गढ़ का ये किला लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में बना हुआ है। 

चितौड़गढ किले का निर्माण

इस किले का निर्माण मौर्यों द्वारा 7वीं सदी में करवाया गया था, जिस पर कई शासकों ने शासन किया था। इन शासको में अकबर भी शामिल था, जिसने इस किले पर शासन किया था। इस किले में 1 लाख से ज्यादा लोग निवास करते थे, जिनमें राजा, उनकी रानियां, दास दासियां और सैनिक शामिल थे।

चितौड़गढ़ किले के तीन जौहर

1. राजस्थान का ये एक मात्र ऐसा किला है, जिसमें एक बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार जौहर किए गए थे। पहला जौहर राजा रतनसिंह के शासन काल में रानी पद्मिनी के ने किया गया था। अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय रानी पद्मिनी के साथ 16 हजार दासियों ने जीवित अग्नि समाधी ले ली थी। 

2. रानी पद्मिनी के जौहर के बाद दूसरा जौहर 16वीं सदी में रानी कर्णावती के द्वारा किया गया था, जिसमें 13000 दासियों ने इनके साथ जौहर किया था। 

3. इन सभी रानियों के बाद सबसे आखिरी जौहर रानी फुलकंवर के नेतृत्व में किया गया था, जिसमें हजारों की संख्या में महल की रानियों और दासियों ने जौहर किया था। इस किले में जौहर के लिए एक अलग से स्थान बनवाया गया था।

चितौड़गढ किले की संरचना

राजस्थान के इस चितौड़गढ़ किले के परिसर में लगभग 65 ऐतिहासिक संरचनाएं बनवायी गई थी, जिसमें 4 महल, 19 मुख्य मंदिर, 7 प्रवेश द्वार, 4 स्मारक और 22 जल निकासी के लिए बनवाए गए थे। इस किले के बारे में बताया जाता है कि उस समय इसमें 84 जल निकाय थे लेकिन अब 22 ही दिखाई देते हैं। इस किले में 7 प्रवेश द्वार है जिनमें भैरव पोल, हनुमान पोल पाडन पोल, गणेश पोल, जोड़ला पोल, लक्ष्मण पोल और राम पोल शामिल हैं।

चितौड़गढ़ किले की किवदंती

चितौड़गढ़ के इस किले की एक किवदंती ये भी है कि एक बार इस किले में एक युद्ध हुआ था, जिससे यहां खुन की नदियां बहने लगी थी। जिसमें एक भैंस का बच्चा बहता हुआ यहां तक आ गया था। जिसके कारण इस किले के पहले दरवाजे का नाम पाडन पोल रखा गया था। वहीं बाकी 6 दरवाजों के नामों के पीछे ऐसी कुछ अनोखी किवदंती है।

महाभारत का संबंध चितौड़गढ किला 

राजस्थान के चितौड़गढ़ किले के इस इतिहास के बारे में काफी कम लोगों को ही पता होगा कि इसका संबंध महाभारत काल से है। कई लोक कथाओं में ये बताया जाता है कि इस किले का निर्माण महाभारत के समय में किया गया था। इसके पीछे की कहानी ये है कि एक बार भीम कुछ कीमती चीज की खोज में निकले थे, तब उनको एक योगी के पास पारस पत्थर दिखा। इस पत्थर के बदले योगी ने रातोंरात उनके लिए इस किले बनवाने को कहा। इस किले के निर्माण के दौरान भीम ने गुस्से में जोर से जमीन पर अपनी लात मारी जिससे लत तालाब का निर्माण हुआ था।

चित्तौड़गढ़ किले का भ्रमण समय और टिकिट

राजस्थान का ये किला सुबह 7: 00 बजे से लेकर  शाम 8:00 बजे तक खुला होता है, जिसमें रात के समय लाइट एंड साउंड शो होता है। इस किले में प्रवेश लेने के लिए वयस्कों को 50 रुपये और बच्चों को 25 रुपये का देना पड़ता हैं। चितौड़गढ किला सप्ताह के सातो दिन खुला रहता है लेकिन सोमवार के दिन किले का संग्रहालय बंद रहता है।

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