Pandavas Chhapi Village: जब महाभारत काल चल रहा था तो उसे समय पांडवों और कौरवों के बीच हुए चौसर के खेल में पांडवों को पराजित होने के बाद 12 वर्षों तक बनवास और 1 साल तक अज्ञातवास का सामना करना पड़ा था। इस दौरान पांडव अपने समय को बिताने के लिए डूंगरपुर के छापी गांव में शरण ली थी। ऐसा बताया जाता है कि यहीं पर पांडवों ने कौरवों को हराने के लिए महादेव को मनाने के लिए बहुत बड़ा यज्ञ किया था।

इससे जुड़े अवशेष अभी भी यहां मिल जाते हैं। इसे पांडवों के धुनी के नाम से भी जाना जाता है। आज के समय में भी पांडवों के धुनी मैं हवन कुंड शिवलिंग और नंदी की प्रतिमाएं द्वापर युग को वर्तमान समय से जोड़े हुए हैं। 

पांडवों ने कौरवों को हराने के लिए किया था यज्ञ

1 साल के बनवास लिए युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव ने छापी गांव में शरण ली थी। इस दौरान कुंती पुत्रों ने भगवान शिवलिंग की प्रतिमा हवन कुंड और नंदी को बनाया था। वर्तमान समय में भी धुनी जलती रहती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहीं पर पांडवों ने यह करने के बाद कौरवों पर अपनी जीत हासिल की थी। 

बरगद के पेड़ के नीचे हैं कई चीजों के अवशेष

पांडवों की धुनी में उनके द्वारा यहां किए गए यज्ञ के लिए बनाए गए हवनकुंड, शिवलिंग, नंदी की मूर्ति और मूर्तियों के अवशेष अभी भी बरगद के एक पेड़ के नीचे मिलते हैं। इनको इनको देखकर ऐसा लगता है कि यह काफी साल पुराने हैं। यहां पर निवास करने वाले लोग अभी भी पांडवों की इस धुनी को देखरेख करते हैं। ग्रामीणों के द्वारा ऐसा बताया जाता है कि वर्तमान में भी यह ऐसा ही है जैसा पहले था। 

पांडवों ने किया था मंदिर का निर्माण

पांडवों की धुनी एक पुराने समय का स्थान है। जब कुंती पुत्रों को 12 साल का बनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला था उसे दौरान उन्होंने यहीं पर एक मंदिर स्थापित किया था जो छपी गांव में स्थित है। पांडवों ने भगवान शंकर की पूजा करने के लिए एक शिवलिंग और एक हवन कुंड का निर्माण किया था।