Rajasthan Marbel City: राजस्थान का मार्बेल सिटी नागौर को कहा जाता है, यह राजस्थान के बीचों-बीच बसा है। यह शहर कई ऐतिहासिक किलों और मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है। यहां का कुचामन किला दुनिया का सबसे खतरनाक किला है। इस किले तक पहुंचने के लिए गाड़ी उल्टी चलानी पड़ती है। यह राजपूतों की शान राजस्थान राज्य का एक जिला है। यह मकराना के पत्थर के लिए दुनिया में जाना जाता है।

जहां की पान मेथी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस शहर में पशुओं के सबसे ज्यादा मेले लगते हैं। यह जिला राजस्थान के अन्य 7 जिलों से अपनी सीमा साझा करता है। यह दिल्ली से 413 किलोमीटर, बीकानेर से 117 किलोमीटर, जयपुर से 235 किलोमीटर दूर बसा है। इस शहर का नजाराआपको थार मरुस्थल की गहराइयों का अनुभव कराता है। नागौर जिले को जाटों का रोम कहा जाता है। यह एक ऐसा शहर है जिसने एक तरबूजों के पीछे लड़ाइयां लड़ी थी।

नागौर में पान मेथी की खेती की शुरुआत कब हुई

नागौर के किसानों का कहना है पान मेथी की खेती लगभग 50 साल पहले 1970 के आस-पास शुरू की गई। सबसे पहले पान मेथी की खेती नागौर के पास के ताऊसर गांव में की गई थी। बाद में इसका उपयोग मसालों में किया जाने लगा। धीरे-धीरे यह पूरे भारत के साथ-साथ विश्व में मशहूर हो गई। एक बार एमडीएच मसालों के मालिक नागौर आए थे। उन्होंने किसानों को मेथी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया था।

नागौर किले का इतिहास

नागौर किले को नागवंशीय क्षत्रियों द्वारा बसाया गया था। यह किला नाग दुर्ग, अहिछत्रपुर और नागणा दुर्ग के नामों से जाना जाता है। इसका पुन: निर्माण  मोहम्मद बाहलीम ने करवाया था। अकबर के समय में नागौर मुगल साम्राज्य का मुख्य अंग रहा था। 1570 ई में मुगल सम्राटअकबर ने नागौर दरबार का आयोजन किया था। इस दरबार में यहां के अनेक राजपूत राजाओं ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी। नागौर सूफी संतों का प्रसिद्ध केंद्र भी रहा है। इस किले में 6 विशाल दरवाजे है। यह किला 2100 गज में फैला हुआ है, इसकी प्राचीर में 28 विशाल बुर्जें लगी है।

यह सफेद संगमरमर पत्थर के लिए जाना जाता है

नागौर शहर सफेद मार्वल और संगमरमर के लिए जाना जाता है। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर और दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल का निर्माण मकराना के सुनहरे पत्थरों से करवाया गया है। इस शहर सफेद संगमरमर का घर भी कहलाता है। यहां लोग दूर-दूर से संगमरमर लेने के लिए आते हैं। यहां मकराना के पत्थर से बड़े-बड़े महल और मंदिरों का निर्माण किया गया है।

नागौर का पशु मेला

यहां भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला लगता है। इस मेले को रामदेवजी पशु मेला भी कहते हैं। इस मेले में ऊंटों, घोड़ों और बैलों का व्यापार होता है। इस मेले में पूरे भारत से लोग पशुओं की खरीदारी करने के लिए आते हैं। यहां के ऊंट पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस मेले का आयोजन काफी बड़े स्तर पर किया जाता है। यह मेला जनवरी और फरवरी माह में लगता है। इस मेले में ऊंटों की दौड़ और सांडों की लड़ाइयों की प्रतियोगिता करवाई जाती है, जिसका मेले में आने वाले लोग भरपूर आनंद लेते हैं।

नागौर जिले के प्रमुख मंदिर

नागौर लोक देवी-देवताओं की भूमि रहा है। यहां पर अनेक लोक देवी-देवताओं के मंदिर विख्यात है। जिनमें गुरु जंभेश्वर महाराज मंदिर, वीर तेजाजी का मंदिर, श्री बाबा रामदेव जी का प्राचीन मंदिर, पशुपति नाथ मंदिर, चतुरदास जी महाराज मंदिर, हरिराम जी महाराज मंदिर, मीराबाई मंदिर, संत शिरोमणि श्री फूंलाबाई का मंदिर, श्री बंशीवाला का मंदिर प्रमुख है।

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