Jaipur Jantar Mantar: राजस्थान अपनी विरासत के लिए काफी मशहूर है। यहां की प्रकृतिक खुबसूरती से लेकर भव्य महलों की भव्यता लोंगो को अधिक आकर्षित करती है। राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित जंतर मंतर अपने इन्हीं कुछ खास खासियत की वजह से जानी जाती है।

किसने करवाया जंतर मंतर का निर्माण?

बता दें कि इस वेधशाला का निर्माण जयपुर के तत्कालीन राजा सवाई जयसिंह ने 1734 में करवाया था। क्योंकि राजा की रूचि ज्योतिष और पारंपरिक वेध विज्ञान में थी। इस वेधशाला के निर्माण की प्रेरणा राजा जयसिंह ने समरकंद के तत्कालीन शासक उलूग बेग के हाथों बनाई गई वेधशाला ली थी। जिसके बाद उन्होंनें भारत में वेधशालाओं का निर्माण करवाया।

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यंत्रों के जरिए लगाया जाता है मौसम का अनुमान

इस जंतर मंतर में राजा जय सिंह के हाथों खड़े किये गए यंत्रों में सम्राट, जयप्रकाश और राम यंत्र भी हैं। इध सभी यंत्रों में सम्राट सबसे ऊँचा है। यह यंत्र पत्थर और चूने से बने हैं। इसकी रोचक बात यह है कि ये आज भी न केवल सलामत हैं,बल्कि ज्योतिषी आज भी हर साल इन यंत्रों के माध्यम से वर्षा और मौसम का अनुमान लगाते हैं। यह जंतर मंतर का सम्राट यंत्र तकरीबन एक सौ चवालीस फुट ऊँचा है। साथ ही इसकी दीवार पर समय बताने के निशान हैं, जो आज भी सटीक हैं। जिसमें घंटे, मिनट और चौथाई मिनट को पढ़ा जा सकता है।

कहां- कहां बना है जंतर-मंतर ?

बता दें कि पहली वेध शाला 1724 में दिल्ली में बनी थी। इसके ठीक 10 वर्ष बाद जयपुर में जंतर मंतर का निर्माण हुआ है। जिसके 15 वर्ष बाद मथुरा में बना और फिर उज्जैन और बनारस में भी ऐसी ही वेधशालाएं बनाई की गईं है। वहीं इन सभी वेधशालाओ में सबसे बड़ी और विशाल जयपुर की वेधशाला ही है। इस लिहाज से यहां की वेधशाला का रखरखाव भी दूसरों से बेहतर है।