हमारे देश में अभी भी कई ऐसे मंदिर हैं जिनके रहस्यों से आज तक पर्दा नहीं उठा है। हालांकि, इसकी खोज करने का प्रयास कई बार किया जा चुका है। लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकल पाया है। आइए आज हम इन्हें में से 3 ऐसे रहस्यमई मंदिरों के बारे में बताते हैं जो राजस्थान में बने हुए हैं। इनका एक अलग ही इतिहास रहा है।
सावित्री मंदिर
पुष्कर जिले में स्थित सावित्री मंदिर भी अपने आप में एक इतिहास बनाए रखा है। यहां पहुंचना काफी कठिन है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर ब्रह्माजी को पुष्कर में श्राप देने के बाद देवी सावित्री जिन्हें, देवी सरस्वती भी कहते हैं वह रूठकर पर्वत पर जाकर बस गईं। इसकी प्रचलित मान्यता है कि पुरुष इस मंदिर में बाहर से ही देवी का दर्शन कर सकते हैं। यहां पुरुषों का अंदर आना मना होता है। पुरुषों के अंदर आने से माता नाराज हो जाती हैं। इन्होंने विष्णु भगवान को भीब्रह्माजी की गायत्री से विवाह का साक्षी होने की वजह से पत्नी के वियोग का श्राप दे दिया था।
मेहंदीपुर बालाजी
राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर बसा हुआ है। यहां आने के बाद आपको कई विचित्र नजारे देखने को मिलेंगे। इन नजारों को पहली बार देखने के बाद आपके पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी। विज्ञान किसी भी तरह की भूत प्रेत को नहीं मानता है, लेकिन यहां प्रत्येक दिन दूर दूर से ऊपरी चक्कर और प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए लोग यहां आते हैं। भूत प्रेत आदि की मुक्ति के लिए लोग यहां आते रहते हैं और भारी संख्या में भीड़ रहती है।
इस मंदिर में हनुमान जी के बचपन का स्वरूप है। इस मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि इसमें बाईं ओर एक छेद है जिससे लगातार जल निकलता रहता है। कई लोग इसे बालाजी का पसीना भी कहते हैं। इसका सबसे बड़ा श्रोत क्या है इसके बारे में कोई नहीं जानता है। इस जल को शरीर पर छिड़कने पर पूरी नजर से मुक्ति मिलती है।
प्रेतराज सरकार
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा यानि कोतवाल कप्तान की मूर्ति भी है। इस मंदिर में रोजाना 2 बजे प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी यानी कीर्तन होता है, जिससे लोगों के ऊपरी सायों को दूर किया जाता है। इस मंदिर के प्रसाद को आप किसी को दे नहीं सकते और न ही खा सकते हैं। सबसे बड़ी बात तो इसे आप घर भी नहीं ले जा सकते हैं।
ऐसी मान्यता है कि यह करने से आपके ऊपर ऊपरी साया आ जाता है। यहां प्रसाद को 2 केटेगरी में बांटा गया है। एक दर्खास्त और दूसरी अर्जी। हाजरी के प्रसाद को दो बार खरीदना पड़ता है और अर्जी में 3 थालियों में प्रसाद मिलते हैं। इस रहस्यमई मंदिर में एक बार दरख्वास्त लगाने के बाद यहां रुकना नहीं होता है। अर्जी का प्रसाद लौटते समय लेते हैं और अपने पीछे फेंकते हैं।