भारत में आजकल दो समुदायों में भेदभाव और लड़ाई झगड़े की खबर सामने आती रहती है। अलग अलग जगहों से हिंसा आदि की खबरें आती रहती हैं, लेकिन राजस्थान का एक गांव ऐसा है, जहां इन सब चीजों से कोई लेना देना नहीं है। इस गांव ने एकता की मिशाल पेश की है। शाही राज्य के नागौर जिले में  स्थित ईनाणा गांव में कुछ ऐसा ही है, जहां दो अलग समुदाय एक साथ मिलकर रहते हैं। इस गांव में सभी धर्मों के बीच एकता बनी हुई है। इस गांव में मुस्लिम समाज के लोग कम रहते हैं। यहां का रहने और खाने पीने का तरीका देखकर आप चौंक जाएंगे, कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? आइए हम आपको आज इसके बारे में जानकारी देते हैं।

12 जाती के लोगों को मिलाकर बना था गांव 

नागौर जिले में स्थित इस गांव को राजा शोभासिंह के बेटे इंदर सिंह ने साल 1358 में बसाया था। उस समय इस गांव में कुल 12 जाती के लोग रहते थे। सभी लोगों को मिलाकर इस गांव को बसाया गया था। राजा इंदर सिंह के नाम पर ही इस गांव का नाम भी रखा गया है। उस समय से लोगों ने अपना सरनेम भी गांव का नाम रखा है। ईनाणा गांव के इतिहास को लेकर यह बताया जाता है कि इंदर सिंह के दो भाई थे। उस समय दोनों गोरक्षा का कम करते थे। दोनों में से एक की मौत उस समय हो गई थी, जिसके बाद से लोग उन्हें कुलदेवता मानकर पूजा करते हैं।

गांव का कोई व्यक्ति नहीं करता है नशा 

ईनाणा गांव का सबसे बड़ा रहस्य यह भी है कि जहां राजस्थान में हरेक हरेक 200 से 250 मिट्टी पर शराब का ठेका और पान की थड़ी मिलते रहते हैं। वहीं, इस अनोखे गांव में एक भी शराब का ठेका और पान का थड़ी नजर नहीं आएगी। यहां पान मसाला का कोई नामों निशान नहीं है। इसके कारण कोई भी गांव का व्यक्ति नशा नहीं करता है। इसका प्रचलन के चर्चे विदेशों में भी होते हैं।

इस गांव में नहीं बजाया जाता है डीजे 

राजस्थान के इस ऐतिहासिक गांव में ब्राह्मण नायक जाट खाती मेघवाल समेत कई दूसरे जातियों के लोग रहते हैं। सारे लोग अपने नाम के आगे गांव का नाम लगाते हैं। आजकल देश विदेश में शादियों में डीजे की गूंज सुनाई देती है। लेकिन इस गांव में कभी शादी में डीजे नहीं बजाया जाता है। इस मामले को लेकर गांव वालों का कहना है कि जोर से डीजे बजाने पर जानवरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।