Rajasthan News: राजस्थान से एक अजीबोगरीब खबर सामने आई है। जिसमें एक जिंदा व्यक्ति को मृत घोषित कर सरकारी योजनाओं के लाभ से दूर रखा गया है। यह मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तेजी से ख़बर फैल रहा है। सिलिकोसिस नामक गंभीर बीमारी से संक्रमित व्यक्ति जिंदा है।

इसके बावजूद उसे सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया है। यह सुनकर हर कोई हैरान है कि आखिर ऐसा कैसे संभव है कि एक जिंदा व्यक्ति को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया हो। जी हां, यह चौंकाने वाली खबर दौसा जिले के बांदीकुई तहसील से सामने आई है।

सरकारी कागजों में जिंदा व्यक्ति मृत पाया गया

आपको बता दें कि बांदीकुई तहसील के गुढ़ा कटला गांव निवासी रामावतार सैनी पत्थर का काम करता था। वह कई सालों से यह काम कर रहा है। इसी दौरान वह सिलिकोसिस नामक गंभीर बीमारी का शिकार हो गया। यह बीमारी मरीज के श्वसन तंत्र को पूरी तरह प्रभावित करती है।

दिन-प्रतिदिन रामावतार की हालत बिगड़ती देख परिजन उसे इलाज के लिए अस्पताल ले गए। जहां मरीज के कागजात देखने के बाद सरकारी दस्तावेजों में उसे मृत घोषित कर दिया गया है। यह सुनकर हर कोई हैरान रह गया। एक गरीब आदमी जो सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर अपना इलाज कराना चाहता है, उसे जिंदा रहते हुए भी कागजों में मृत घोषित किया जा रहा है। ऐसा कैसे संभव है?

परिजनों को इस बात पर यकीन नहीं हुआ, उन्होंने सरकारी योजनाओं के लाभ के साथ रामावतार के इलाज के लिए जयपुर के अस्पतालों के कई चक्कर भी लगाए, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। सभी ने वही घिसी-पिटी बात कही कि रामावतार की मौत हो गई है। जो सरकारी आंकड़ों में साफ दिखाई दे रही है।

मरीज जिला कलेक्टर कार्यालय में गुहार लगाने पहुंचा

मालूम हो कि रामावतार सैनी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके परिवार की आय का एकमात्र जरिया मजदूरी है। इसी से उनका और उनके परिवार का गुजारा होता है। वैसे भी रामावतार बीमार रहते हैं, इसलिए वह और उनका परिवार, अपने परिवार के अन्य सदस्यों के सहारे गुजारा कर रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि पैसों के अभाव में रामावतार जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।

सिलिकोसिस नामक बीमारी के कारण उनकी हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। जबकि इस बीमारी से ग्रसित मरीज को सरकार की ओर से मुफ्त इलाज दिया जाता है। लेकिन सरकारी कर्मचारियों की गलती के कारण वह जिंदा होते हुए भी इलाज के लिए अस्पताल से लेकर अफसरों के दरवाजे तक भटक रहे हैं और कागजों में उन्हें मृत दिखा दिया गया है। इसी क्रम में वह अपने परिवार की मदद से आज जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे।

यहां उन्होंने एक आवेदन देकर अपनी कहानी बताई है। अब देखना यह है कि सरकार के आला अधिकारी इस गरीब मरीज की आवाज कब तक सुनेंगे और उसे सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ दिलाने में कितनी जल्द मदद करेंगे।