Court Issued Notice To Ajmer Dargah: यूपी के संभल में जामा मस्जिद के हरिहर नाथ मंदिर होने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था, कि राजस्थान के अजमेर की ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के शिव मंदिर होने का भी दावा एक हिंदू संगठन ने कर दिया है। इस संबंध में हिंदू सेना नाम के एक संगठन द्वारा अजमेर की सिविल कोर्ट में याचिका डाली गई थी। जिसे आज 28 नबंवर 2024 को सुनवाई करने के लिए स्वीकार कर लिया गया है। कोर्ट ने दायर याचिका के आधार को उपर्युक्त मानते हुए याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 20 दिसंबर 2024 की तिथि को निर्धारित कर दिया। इसके साथ ही संबंधित पक्षों को भी नोटिस जारी कर दिया गया है।

जानें क्या है मामला

दरगाह अजमेर शरीफ के भी शिव मंदिर होने का मामला चर्चा में आ गया है। हिंदू सेना नाम के एक हिंदू संगठन के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर सिविल कोर्ट में इस दावे को लेकर एक याचिका डाली गई थी। जिसके अंदर मुस्लिमों की प्रसिद्ध ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह के प्राचीन संकटमोचन महादेव शिवमंदिर होने का दावा किया गया है। कोर्ट ने याचिका को सुनने योग्य मानकर अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित कर दी। इसके साथ ही सिविल कोर्ट ने संबंधित पक्षकारों अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग(ASI) को भी नोटिस भेज दिया गया है। याचिका के स्वीकार होते ही दरगाह के भी सर्वे होने के अंदेशे को लेकर मुस्लिमों की बेचैनी बढ़ गई है।

हिंदू पक्ष का है ये दावा

याचिकाकर्ता हिंदू सेना का दावा है कि दरगाह स्थल पर पूर्व में संकटमोचन महादेव शिवमंदिर था। जिस मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ ही जलाभिषेक भी किया जा रहा था। उनका कहना है कि पानी और झरने शिव मंदिर के ही अंग होते हैं। याचिका में उनकी मांग है कि दरगाह परिसर का एएसआई से सर्वे कराई जाए तथा कब्जा हटाकर पूजा-अर्चना करने का अधिकार दिया जाए।

पुस्तक है आधार

याची विष्णु गुप्ता की याचिका में अजमेर निवासी सेवानिवृत्त न्यायाधीश हरबिलास सरदा द्वारा वर्ष 1911 में लिखित पुस्तक ‘Ajmer Historical & Descriptive’ का आधार देते हुए कहा गया है। कि इस पुस्तक का अध्याय 8 दरगाह स्थल के मंदिर होने तथा उसके अवशेषों से बने होने के बारे में तथ्य प्रस्तुत करता है। दरगाह परिसर में 75 फिट ऊंचे बुलंद दरबाजे के निर्माण में मंदिर के खंडित अवशेषों के उपयोग होने का दावा है तथा इसके साथ ही मंदिर के तहखाने में गर्भगृह होने के प्रमाण बताया गया है। इसके साथ ही दरगाह परिसर में एक जैन मंदिर होने के बारे में भी बताया गया है।

साथ-साथ पुस्तक की पृष्ठ संख्या 88 के अनुसार दरगाह की तीन मंजिला छतरी की बनावट हिन्दू मंदिर होने का संकेत दे रही है। तो पृष्ठ 89 पर बुलंद दरवाजे के साथ ही दरगाह के दूसरे भागों का निर्माण भी मंदिर के खंभों का उपयोग कर किया गया है।